राजभर, अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद दिखाएंगे ताकत! मिलकर लड़ सकते हैं पंचायत चुनाव

एनडीए गठबंधन के घटक ओमप्रकाश राजभर, अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद के बीच पंचायत चुनावों से ठीक पहले एक अलग ही खिचड़ी पक रही है. बहुत संभव है कि पंचायत चुनाव में ये तीनों मिलकर चुनाव लड़ें. यह गठबंधन 2027 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है. हालांकि राजनीतिक विष्लेषक इसे पॉलिटिकल बार्गेनिंग बता रहे हैं.

ओमप्रकाश राजभर का अनुप्रिया और निषाद से गठबंधन

पंचायत चुनावों के ऐलान से ठीक पहले एनडीए गठबंधन में सहयोगी दलों की अलग ही खिचड़ी पकड़ने लगी है. इनमें सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल अलग गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी में लगे हैं. पंचायत चुनावों में यह गठबंधन कारगर साबित होता है तो इसे 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी आजमाया जा सकता है. इलेक्ट्रॉन, प्रोट्रॉन और न्यूट्रॉन का जिक्र करते हुए सुभासपा सुप्रीमो ओमप्रकाश राजभर ने कुछ इसी तरह का संकेत दिया है. उधर, राजनीतिक विष्लेषक इसे पॉलिटिकल बार्गेनिंग बता रहे हैं.

बदलते समीकरणों को लेकर ओमप्रकाश राजभर ने टीवी 9 भारतवर्ष से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि हम तीनों ताल से निकल कर ताल कटोरा (दिल्ली में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन) में मिले. हम तीनों ने वहां अपनी ताकत भी दिखाई. उन्होंने साफ तौरपर कहा कि यूपी की राजनीति में सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन की तरह हैं. ये तीनों जहां एकजुट होंगे, वहीं परमाणु बम यानी ‘ताकत’ होगा.

साथ में चुनाव लड़ने के संकेत

कहा कि अभी हमारी बातचीत चल रही है और पूरी संभावना है कि हम तीनों मिलकर पंचायत चुनाव लड़ें. इसी क्रम में उन्होंने ओबीसी क्रिमी लेयर की सीमा 8 लाख से 15 लाख करने के अनुप्रिया पटेल की मांग का समर्थन किया. कहा कि 62% पिछड़ों की आबादी है और महंगाई जिस तरह से बढ़ी है, उसे देखते हुए क्रिमी लेयर की सीमा कम से कम 15 लाख तो होनी ही चाहिए. इसी के साथ उन्होंने ओबीसी मंत्रालय के गठन को भी मांग की. सवाल उठाया कि जब राजपूत और जाट रेजिमेंट हो सकते हैं तो ओबीसी कल्याण के लिए मंत्रालय क्यों नहीं हो सकता?

निकाले जा रहे बयान के अलग अलग मायने

ओमप्रकाश राजभर के इस बयान के कई अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं. राजनैतिक विश्लेषक विजय नारायण कहते हैं कि पंचायत चुनाव तो पार्टी के सिंबल पर होता नहीं, इसलिए ओमप्रकाश राजभर का बयान बीजेपी ही नहीं, विपक्ष के लिए भी एक संदेश है. उन्होंने कहा कि वह भले ही पंचायत चुनाव का नाम ले रहे हैं, लेकिन उनका लक्ष्य 2027 का विधानसभा चुनाव है. दरअसल, वह अपने दोनों सहयोगियों के साथ मिलकर बीजेपी को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं. ऐसा कर वह आगामी चुनाव में पॉलिटिकल बार्गेनिंग कर सकते हैं. इसी के साथ वह विपक्ष को भी संदेश देना चाहते हैं कि जहां राजभर, निषाद और कुर्मी-कोइरी वोट एकजुट होगा, वहीं विजय होगी.