लौटा लौटा ऐ गंगा मइया… बाढ़ में समाए 18 घर तो मचा हाहाकार, नदी के तटों पर लोग ऐसे कर रहे मनुहार

उत्तर प्रदेश के बलिया और गाजीपुर में गंगा नदी के कटाव से सैकड़ों घर तबाह हो गए हैं. नदी का जलस्तर बढ़ने से हजारों एकड़ फसलें पहले ही डूब चुकी थीं, अब लोगों के घर मकान भी नदी में विलीन होने लगे हैं. ग्रामीणों ने राहत और कटाव से रोकथाम के लिए प्रशासन से तो मदद मांगी ही है, लोग गंगा मइया से भी अपने स्थान पर लौटने की गुहार कर रहे हैं.

गांवों में भरा बाढ़ का पानी

उत्तर प्रदेश में एक बार फिर देव नदी गंगा ने रौद्र रूप ले लिया है. बलिया और गाजीपुर आदि जिलों में गंगा के किनारे वाली हजारों एकड़ में खेती तो पहले ही डूब चुकी है, अब गंगा ने किनारों पर बने घर और मकानों को निगलना शुरू कर दिया है. शनिवार को ही बलिया के बैरिया क्षेत्र में गंगा ने 18 से अधिक मकानों को अपने आगोश में ले लिया था. कटान का दौर अभी जारी है. आशंका है आज भी दर्जनों मकान गंगा के आगोश में समा सकते हैं.

बैरिया तहसील के चक्की नौरंगा में गंगा के इस रूप को देखकर लोगों में दहशत फैल गई है. प्रशासन ने डूब इलाके से निकालकर लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया है. हालांकि अभी भी कई परिवार अपने घर मकान को बचाने के लिए भगीरथ प्रयास करते नजर आ रहे हैं. बता दें कि शनिवार को इसी गांव में 18 मकान नदी के कटान में आकर धराशायी हो गए थे. जबकि करीब इतने ही मकान कटान की जद में हैं. ऐसे हालात में दहशत में आए ग्रामीणों ने प्रशासन से मदद की गुहार की है.

गंगा मइया से राहत की गुहार

बलिया और गाजीपुर में गंगा के किनारे बसे गांवों में अब तक महिलाएं इस गीत ‘गंगा मइया खोरिया बहोरा’ को गाते हुए गंगा को अपने घर में आमंत्रित करती थीं, लेकिन जब गंगा में आई बाढ़ ने तांडव मचाना शुरू किया तो अब महिलाएं गंगा मइया से जान माल की रक्षा की गुहार करती नजर आ रही हैं. इस बाढ़ के बीच लोग कटान वाले इलाके में दीया बत्ती कर गंगा मइया से अपनी जगह पर वापस लौटने की गुहार कर रहे हैं. यह दृष्य बेहद झकझोर करने वाला है.

अब तक पानी में डूब चुके हैं 60 मकान

आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक नौरंगा गांव में गंगा नदी ने कुछ साल पहले कटान शुरू किया था. खेत खलिहानों को निगलते हुए इस नदी ने साल दर साल आबादी की ओर बढ़ना शुरू किया और अब डूब क्षेत्र में बने घर और मकानों को अपने आगोश में लेने लगी है. इस साल सावन में ही गंगा ने आबादी क्षेत्र में दस्तक दे दी थी. इसी के साथ तेजी से कटान भी शुरू हो गया. आलम यह है कि बीते एक महीने में ही 60 से अधिक कच्चे-पक्के मकान नदी में समा चुके हैं.

राहत सामग्री पहुंचाकर खानापूर्ति

स्थानीय लोगों के मुताबिक जिला प्रशासन की ओर से प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाकर महज खानापूर्ति की जा रही है. अब तक प्रशासन की ओर से बाढ़ नियंत्रण और कटान रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए. जबकि यह समस्या बीते कुछ सालों से लगातार बढ़ती ही जा रही है. उधर, बलिया जिले से निकल रही सरयू और टोंस में जलस्तर कम होने से राहत मिली है. केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक गायघाट में शनिवार की शाम चार बजे गंगा का जलस्तर 59.600 मीटर तक पहुंच चुका था. इसी प्रकार डीएसपी हेड पर सरयू का जलस्तर 63.540 मीटर पर दर्ज किया गया.