डायन ने डिबिया में पैक किया था 2 भाइयों की आत्मा, रोमांचक है UP के इस मंदिर की कहानी

बलिया के मनियर स्थित नवका बाबा मंदिर प्रेत बाधा, चर्म रोग और मानसिक समस्याओं के निदान के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर की स्थापना दो भाइयों ने की थी, जिन्हें एक डायन ने मार दिया था. हालांकि इन भाइयों के तेज से वह डायन भी भस्म हो गई थी. उसी समय से इस मंदिर में भूतों का मेला लगता है. इस मंदिर में प्रेत बाधा से मुक्ति के लिए देश भर से लोग आते हैं.

बलिया में भूतों का मेला Image Credit:

उत्तर प्रदेश के बलिया में कई ऐसे रहस्यमयी स्थान हैं, जिनकी कहानियां सुनकर शरीर में झुरझुरी पैदा हो जाती है. ऐसा ही एक स्थान बलिया के मनियर कस्बे में स्थित नवका बाबा का मंदिर. यह मंदिर कितना पुराना है, यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन इस मंदिर में प्रेत बाधा से ग्रसित लोग देश भर से आते हैं और अपनी समस्या का समाधान पाते हैं. भूत-प्रेतों से मुक्ति दिलाने वाले इस मंदिर कैंपस में नवरात्रि के समय मेला लगता है. हजारों की संख्या में लोग यहां भरे रहते हैं, फिर भी उस समय यहां का दृष्य बेहद डरावना होता है.

आइए, आज उसी नवका बाबा के मंदिर की कहानी पुजारी श्रीराम उपाध्याय से जानने की कोशिश करते हैं. पुजारी श्रीराम उपाध्याय कहते हैं कि प्राचीन काल में मगध प्रांत, जिसे आज बिहार कहते हैं, वहां से दो भाई यहां आए थे. उस समय यहां पर जंगल हुआ करता था. इन दोनों भाइयों ने बड़ी मेहनत से यहां साफ सफाई की और इस मंदिर की स्थापना की थी. उस समय यहां जंगल में एक डायन रहती थी. उसने दोनों भाइयों को मारकर उनकी आत्मा एक छोटी सी डिबिया में पैक कर दिया था.

इस मंदिर में लगता है भूतों का मेला

तेज से भस्म हो गई थी डायन

इस डिबिया में बंद होने के बाद भी इन दोनों भाइयों का तेज ऐसा था कि उसमें जल कर इस पूरे इलाके का जंगल साफ हो गया. उसी आग में वह डायन भी जलकर भस्म हो गई थी. इसके बाद वह दोनों भाई स्थानीय लोगों को स्वप्न में आने लगे और लोगों को प्रेरित कर यहां अपना स्थान बनवा लिया था. उसके बाद से ही यह स्थान किसी भी तरह की प्रेत बाधा समेत अन्य पारलौकिक शक्तियों से मुक्ति का केंद्र बन गया. पहले तो यहां आसपास के ही लोग आते थे, लेकिन धीरे धीरे इस मंदिर की प्रसिद्धि बढ़ती चली गई. अब इस मंदिर में यूपी-बिहार ही नहीं, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश के अलावा दक्षिण भारत के भी कई राज्यों से लोग आते हैं.

चर्म रोग और मानसिक पीड़ा से भी निजात का दावा

मंदिर के पुजारी श्रीराम उपाध्याय कहते हैं कि इस मंदिर में ना केवल प्रेत बाधा से लोगों को छुटकारा मिलता है, बल्कि लोग यहां कुष्ठ एवं सफेद दाग समेत अन्य असाध्य चर्म रोगों से भी मुक्ति के लिए आते हैं. उन्होंने बताया कि बीते कुछ समय से लोग यहां मानसिक बीमारियों के समाधान के लिए भी आने लगे हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के प्रसाद और उपचार से लोगों को लाभ मिलता है. इसलिए लोग एक बार यहां मनौती मांगने आते हैं और दोबारा मनौती पूरी होने पर प्रसाद चढ़ाने आते हैं. इस मंदिर में खासतौर पर नवरात्रि के दिनों में भारी मेला लगता है. इसे भूतों का मेला कहा जाता है.