फर्जी नियुक्तियां! जांच होते ही कई जिलों से अचानक लापता हो गए एक्स-रे टेक्नीशियन
उत्तर प्रदेश के कई जिले से एक्स-रे टेक्नीशियन मौके पर नहीं आ रहे हैं. जब स्वास्थ्य विभाग को इनकी फर्जी नियुक्तियों के होने की आशंका हुई तो इन्होंने ड्यूटी पर आना ही बंद कर दिया. बाराबंकी से भी चार कर्मचारियों के नाम ड्यूटी नदारद कर्मचारियों की लिस्ट में शामिल किया गया है. ऐसे में आशंका लगाई जा रही है कि इन सभी की नियुक्ति के समय फर्जीवाड़ा हुआ था.
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में स्वास्थ्य विभाग में तैनात दर्जनों एक्स-रे टेक्नीशियन अचानक ड्यूटी से नदारद हो गए हैं. मौके से जो कर्मचारी नदारत हैं उनकी नियुक्तियां 2008 में हुई थीं. शनिवार और सोमवार को कई जिलों से एक साथ टेक्नीशियन के गायब होने की वजह से यहां हड़कंप जैसी स्थिति है. विभाग को आशंका है कि इन नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है जिसे दबाने की बजाय अब खुलासा करने की तैयारी शुरू हो चुकी है.
विभाग की ओर से जारी की गई सूची में प्रदेश के कई जिलों के नाम सामने आए हैं. इसमें बाराबंकी, बांदा, बिजनौर, कन्नौज, कानपुर देहात, उन्नाव और फिरोजाबाद जैसे जिले शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक, जिन एक्स-रे टेक्नीशियन की नियुक्तियां संदिग्ध पाई गई हैं वहीं अचानक बिना कोई सूचना दिए अपने कार्यस्थलों से नदारद हो गए.
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चार टेक्नीशियन हुए हैं नदारद
बाराबंकी जिले से भी चार नाम इस सूची में दर्ज किया गया. इनमें अमीचंद्र जो वाराणसी के रहने वाले हैं. वो सीएचसी सूरतगंज पर तैनात थे. वहीं दूसरे प्रमोद कुमार हैं, जो बाराबंकी के रहने वाले हैं. ये सीएचसी मथुरानगर पर तैनात थे. वहीं श्रवण कुमार भी वाराणसी के रहने वाले हैं. इनकी तैनाती सीएचसी टिकैतनगर में हुई है. इसके अलावा धर्मेंद्र सिंह एटा के रहने वाले हैं. ये मौजूदा समय में कन्नौज में पोस्टेड हैं लेकिन, पहले बाराबंकी में कार्यरत रह चुके हैं.
छुट्टी पर गए हैं कर्मचारी
टिकैतनगर सीएचसी के अधीक्षक डॉ. विजय पटेल ने इस मामले पर कहा कि श्रवण कुमार पटेल तीन दिन की छुट्टी पर गए हैं. और लौटने के बाद उन्हें कार्यभार सौंपा जाएगा. हालांकि, विभागीय सूची में उनका नाम भी उन कर्मचारियों के बीच है जिन पर फर्जी नियुक्ति का शक जताया जा रहा है.
सूत्रों का कहना है कि इन नामों से जुड़े कर्मचारी लंबे समय से विभाग में नौकरी कर रहे थे और लाखों रुपये का सरकारी वेतन उठा चुके हैं. जैसे ही इस फर्जीवाड़े की भनक विभागीय अधिकारियों तक पहुंची वैसे ही संबंधित कर्मचारी अपने-अपने कार्यस्थलों से फरार हो गए. स्वास्थ्य विभाग ने इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है. फिलहाल, फर्जीवाड़ा किस हद तक किया गया है और इसमें कितने लोग शामिल हैं इस बात का खुलासा नहीं हो सका है. इस मामले कई एंगल पर जांच की जा रही है, जैसे इतने सालों से नियुक्ति के बाद भी इसकी भनक किसी को क्यों नहीं लगी? क्या इसमें बड़े अधिकारी भी शामिल हैं? इन सभी सवालों का खुलासा जांच के बाद सामने आएगा.