गाजियाबाद से लंदन तक: ‘फर्जी दूतावास’ के पीछे हर्षवर्धन का ग्लोबल फ्रॉड नेटवर्क क्या है?
उत्तर प्रदेश के कविनगर में रहने वाला हर्षवर्धन जैन दिखने में एक आम नागरिक लग सकता है, लेकिन जब यूपी एटीएस ने उसे 22 जुलाई 2025 को उसके घर से गिरफ्तार किया, तो उसकी ओर से किए गए अपराधों की परत-दर-परत पोल खुलती गई. अब यूपी एटीएस ने एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय साजिश का पर्दाफाश किया है.
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के कविनगर में 22 जुलाई 2025 को यूपी एटीएस ने हर्षवर्धन जैन को उसके घर से अवैध रूप से दूतावास चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया. ये गिरफ्तारी किसी अपराध की कहानी नहीं है बल्कि, इससे एक ऐसी साजिश का पर्दाफाश हुआ, जो भारत से लेकर लंदन, दुबई, मॉरीशस और स्विट्जरलैंड तक फैली हुई थी. हर्षवर्धन जैन, केबी-35, कविनगर का रहने वाला है. हर्षवर्धन का नाम अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी के मामले में सामने आया है.
यूपी एसटीएफ अमिताभ यस ने बताया कि STF ने हर्षवर्धन के घर से कई जरूरी डॉक्यूमेंट्स बरामद किए हैं. इस डॉक्यूमेंट के जरिए कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. हर्षवर्धन की मुलाकात कुख्यात चंद्रास्वामी ने लंदन में सऊदी अरब के हथियार डीलर अदनान खगोशी और हैदराबाद के रहने वाले एहसान अली सैयद से करवाई थी. फिलहाल, एहसान ने अब तुर्की की नागरिकता ले ली है. उसने और हर्षवर्धन ने मिलकर कई देशों में शेल कंपनियां सेट-अप कीं.
विदेशों में भी हर्षवर्धन के कई बैंक अकाउंट
इनमें यूनाइटेड किंगडम में स्टेट ट्रेडिंग कॉपरेशन लिमिटेड और ईस्ट इंडिया कंपनी यूके लिमिटेड, यूएई में आईलैंड जेनरल ट्रेडिंग सीओ एलएलसी, मॉरीशस में इंदिरा ओवरसीज लिमिटेड और अफ्रीकी देश कैमरून में कैमरान इस्पात सार्ल शामिल हैं. जांच में यह भी सामने आया कि हर्षवर्धन के पास दुबई में 6, मॉरीशस में 1, यूनाइटेड किंगडम में 3 और भारत में 1 बैंक खाते हैं. इसके अलावा, उसके पास दो पैन कार्ड भी मिले, जिनके जरिए खोले गए बैंक खातों की जांच चल रही है.
चंद्रास्वामी और एहसान अली का कनेक्शन
हर्षवर्धन की कहानी तब और गहरी होती है, जब इसमें चंद्रास्वामी और एहसान अली सैयद का नाम जुड़ता है. चंद्रास्वामी ने हर्षवर्धन को लंदन भेजकर एहसान के साथ साझेदारी करवाई. दोनों ने मिलकर लंदन में कई शेल कंपनियां बनाईं और इनके जरिए बड़े फ्रॉड को अंजाम दिया. एहसान की कंपनी वेस्टर्न एडवाइजरी ग्रुप, जो स्विट्जरलैंड और बहरीन से संचालित की जा रही थी. इस कंपनी ने 2008 से 2011 के बीच 16 कंपनियों को 70 मिलियन पाउंड का लोन दिलाने के नाम पर 25 मिलियन पाउंड की दलाली हड़पी.
इसके बाद एहसान स्विट्जरलैंड से भाग गया. स्विस सरकार की शिकायत पर लंदन पुलिस ने 22 नवंबर 2022 को एहसान को गिरफ्तार किया. जुलाई 2023 में वेस्टमिंस्टर कोर्ट, लंदन ने उसे धोखाधड़ी के मामले में स्विट्जरलैंड प्रत्यर्पण की मंजूरी दे दी. ज्यूरिख कोर्ट ने एहसान को साढ़े छह साल की सजा सुनाई. अब पुलिस यह जांच कर रही है कि इस धोखाधड़ी में हर्षवर्धन की कितनी संलिप्तता थी?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चला रहा था ये व्यापार
हर्षवर्धन का कविनगर स्थित घर अवैध दूतावास के रूप में इस्तेमाल हो रहा था. यह एक ऐसा केंद्र था, जहां से वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कारोबार को संचालित करता था. पुलिस ने उसके खिलाफ धारा 318(4), 336(3), 338, और 340(2) बीएनएस के तहत केस दर्ज किया है. हर्षवर्धन को रिमांड पर लेने की प्रक्रिया चल रही है और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर जांच को और गहरा किया जा रहा है.
हर्षवर्धन और एहसान की साझेदारी, शेल कंपनियों का जाल और अंतरराष्ट्रीय बैंक खाते इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यह एक सुनियोजित अपराध था. इन शेल कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध लेन-देन, और धोखाधड़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. पुलिस अब हर्षवर्धन के बैंक खातों और उसके दो पैन कार्ड के दुरुपयोग की जांच कर रही है. साथ ही, यह भी पता लगाया जा रहा है कि चंद्रास्वामी और अदनान खगोशी जैसे लोगों के साथ उसका रिश्ता कितना गहरा था.