कहानी नकली देशों के फ़र्ज़ी ‘एंबेसडर’ हर्षवर्धन जैन की, जिसके पास 2011 में मिला था सैटेलाइट फ़ोन
कई नकली देशों के फर्जी राजदूत हर्षवर्धन जैन का पुलिस और जेल के साथ पुराना नाता रहा है. सैटेलाइट फोन रखने के आरोप में पहले भी वह जेल जा चुका है. उसने चंद्रास्वामी से मिलने के बाद एक ऐसा नेटवर्क खड़ा किया था कि पुलिस भी उसके ऊपर हाथ डालने से घबराती थी. इस प्रसंग में हम हर्षवर्धन की अनछुई कहानियों को बताने का प्रयास कर रहे हैं.

कई नकली राष्ट्रों के फर्जी एंबेसडर हर्षवर्धन जैन का पुलिस और जेल से पुराना नाता है. पहली बार वह सैटेलाइट फोन रखने के आरोप में जेल गया था. उसे जेल भेजकर गाजियाबाद की कविनगर थाना पुलिस अपनी पीठ थपथपा ही रही थी कि वह अपने रसूख के दम पर छूटकर बाहर आ गया. उसके बाद से ही हर्षवर्धन ने इतना तगड़ा नेटवर्क खड़ा किया कि पुलिस दोबारा उसके चौखट पर कदम भी नहीं रख सकी. इस प्रसंग में उसी हर्षवर्धन की पूरी कहानी बताएंगे.
शुरूआत उसके पिता जेडी जैन से करते हैं. वह 1990 का दशक था. उन दिनों गाजियाबाद में जेडी जैन अपनी जैन रोलिंग मिल के जरिए बुलंदी पर थे. उन्हीं दिनों उन्होंने मार्बल माइंस के काम में हाथ आजमाते हुए कारोबार राजस्थान के बांसवाड़ा और काकरोली तक फैला लिया था. उस समय उनके बेटे हर्षवर्धन का गाजियाबाद के ही एक निजी कॉलेज से बीबीए कंपलीट हुआ था. उसने पिता के सामने आगे की पढ़ाई विदेश में करने की इच्छा रखी.
चंद्रास्वामी से मुलाकात बना टर्निंग पॉइंट
चूंकि पैसे की कहीं से कोई दिक्कत थी नहीं, इसलिए पिता जेडी जैन ने उसे एमबीए की पढ़ाई के लिए लंदन भेज दिया. वहां पहले साल तो सबकुछ ठीक रहा, लेकिन संयोग से उन्हीं दिनों इसकी मुलाकात चंद्रास्वामी से हो गई. फिर क्या था, इसकी महत्वाकांक्षाओं के तो पर लग गए. वहां से यह साल 2006 में एमबीए कंपलीट कर भारत लौटा. उस समय पिता चाहते थे कि यह राजस्थान का कारोबार संभाले, लेकिन यह चंद्रास्वामी और हथियार डीलर अदनान के कहने पर अपने चचेरे भाई के पास दुबई चला गया और हवाला कारोबार में लग गया.
सैटेलाइट फोन रखने पर गया था जेल
दिसंबर 2011 में यह दुबई से लौटा और करीब चार महीने तक यहां कविनगर में ही रहकर सैटेलाइट फोन से अपने कारोबार का संचालन करता था. संयोग से उन्हीं दिनों उसके सैटेलाइट फोन की तरंगों को पुलिस ने ट्रैस कर लिया और इसे टेलीग्राफ बायर्स अनलाफुल पजेशन एक्ट के तहत अरेस्ट कर डासना जेल भेज दिया था. पुलिस उसकी गिरफ्तारी को बड़ी उपलब्धि बता रही थी, लेकिन एक बार फिर चंद्रास्वामी वाला नेटवर्क इसके काम आया और यह जेल से बाहर आ गया. उसके बाद से ही इसने गाजियाबाद में फर्जी एंबेसी खोलकर दलाली और हवाला का काम कर रहा है.



