यूपी में औद्योगिक भूखंडों के लिए नया शासनादेश: तीन साल में पेमेंट नहीं किया तो आवंटन होगा रद्द

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से औद्योगिक संस्थान प्रबंधन नीति को ध्यान में रखते हुए एक अहम शासनादेश को जारी किया गया है. इस शासनादेश के तहत प्रदेश में जिन भी बिजनेसमैन को औद्योगिक भूखंडों का आवंटन किया गया है, उन्हें एक निर्धारित समय के भीतर इसकी रकम की पेमेंट करनी होगी. अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो आवंटित किए गए भखंड का आवंटन रद्द हो जाएगा.

औद्योगिक भूखंड आवंटन यूपी (सांकेतिक तस्वीर) Image Credit: freepik

उत्तर प्रदेश सरकार ने में IAS आलोक कुमार ने शासनादेश जारी किया है. ये आदेश औद्योगिक संस्थान प्रबंधन नीति (Industrial Institution Management Policy) के लिए जारी किया गया है. लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग अपर मुख्य सचिव आलोक कुमार के नेतृत्व में पहले से जारी 19 शासनादेशों को खत्म कर दिया गया है. नए शासनादेश के मुताबिक, किसी बिजनेस के लिए औद्योगिक क्षेत्र में आवंटित भूखंडों की रकम का भुगतान अब तीन साल में करना होगा.

यानी अब अगर बिजनेसमैन आवंटित इन भूखंडों के लिए इस रकम को सही समय पर नहीं देता है तो उसके आवंटन को रद्द करने की बात कही गई है. साथ ही UP में किसी सरकारी भूखंड के E- ऑक्शन में हिस्सा लेने के लिए आवेदक को आरक्षित मूल्य की 10% धनराशि अर्नेस्ट मनी के रूप में जमा करनी होगी.

पुराने शासनादेशों को किया गया खत्म

सरकार की तरफ से इस नए शासनादेश के तहत पुराने 19 शासनादेशों को खत्म कर दिया गया है. ऐसा इसलिए ताकि, आज के समय के मुताबिक, नीतियों को बेहतर बनाया जा सके. सरकार की ओर से इस बदलाव के पीछे की वजह के रूप में अप्रभावी नीतियो को खत्म करके नई नीतियों को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके.

क्षेत्रवार रिजर्व प्राइस तय

प्रदेश की भौगोलिक विविधता को ध्यान में रखते हुए वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए औद्योगिक भूखंडों की रिजर्व प्राइस तय की गई है. इसके अंतर्गत मध्यांचल में ₹2,500/वर्गमीटर, पश्चिमांचल में 20% अधिक, यानी ₹3,000/वर्गमीटर, बुंदेलखंड व पूर्वांचल में 20% कम, यानी ₹2,000/वर्गमीटर प्राइस निर्धारित किया गया है. इन दरों में हर साल 1 अप्रैल को 5% वार्षिक वृद्धि होगी. यदि किसी औद्योगिक आस्थान में एंकर इकाई स्थापित होने से एमएसएमई इकाइयों में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है, तो शासन विशेष दर पर भूखंड आवंटन का फैसला ले सकेगा.

भुगतान की लचीली व्यवस्था

ई-ऑक्शन में सफल बोलीदाता को आरक्षित मूल्य का 10% अर्नेस्ट मनी देना होगा। शेष राशि एकमुश्त, 1 वर्ष या 3 वर्ष में चुका सकते हैं. वहीं, तत्काल भुगतान पर उन्हें 2% छूट मिलेगी. इसी तरह किस्त योजना में 12/36 समान मासिक किश्तें देय होंगी, जबकि विलंब पर दंड के रूप में अतिरिक्त ब्याज लगाया जाएगा.

10% SC/ST को आरक्षण

नीति के तहत आरक्षण की भी व्यवस्था की गई है। कुल भूखंड/शेड का 10% एससी/एसटी वर्ग के उद्यमियों को आवंटित होगा. यदि कोई योग्य आवेदक न मिले, तो भूखंड अन्य वर्ग को दिया जा सकेगा ताकि विकास में रुकावट न आए.

सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर

औद्योगिक आस्थानों में सामान्य सुविधा केंद्र, विद्युत उपकेंद्र, अग्निशमन केंद्र, महिला हॉस्टल, डॉरमेट्री, क्रेच, पर्यावरण हितैषी पार्क, प्रशिक्षण संस्थान व स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

पारदर्शिता और एसओपी

आयुक्त एवं निदेशक, उद्योग भूमि आवंटन, संपत्ति हस्तांतरण, पुनर्जीवीकरण, सबलेटिंग, विभाजन और सरेंडर आदि के लिए मानक गाइडलाइंस (एसओपी) लागू करेंगे.

E-ऑक्शन की प्रक्रिया क्यों किया लागू?

राज्य सरकार ने E-ऑक्शन की प्रक्रिया को लागू किया है, ताकि सरकारी भूखंडों के आवंटन में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे. इस प्रक्रिया में भाग लेने के लिए आवेदक को भूखंड के आरक्षित मूल्य का 10% अर्नेस्ट मनी के रूप में जमा करना होगा. यदि आवेदनकर्ता नीलामी जीत जाता है और बाकी राशि समय पर जमा करता है, तो वह भूखंड का मालिक बन जाएगा. यदि वह निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करता, तो उसकी जमा राशि नहीं लौटाई जाएगी और उसका आवंटन भी रद्द कर दिया जाएगा.