भंडारा खाकर लौट रहे तीन दोस्तों की एक साथ मौत; जालौन में पोल से टकराई बाइक, गांव में कोहराम

जालौन में भंडारा खाकर लौट रहे तीन दोस्तों की सड़क हादसे में मौत हो गई. तीनों भंडारा खाने के लिए गधेला गांव पहुंचे थे. इस दौरान घर जाने के लिए उन्होंने मुख्य रास्ते की बजाय कच्चा रास्ता लिया. थोड़ी दूर जाते ही उनकी बाइक बिजली के पोल से टकरा गई.

जालौन सड़क हादसा

जालौन के गधेला गांव के पास एक दर्दनाक सड़क हादसे की खबर आ रही है. यहां 11 कुंडीय यज्ञ–भागवत कथा के भंडारे में शामिल होकर लौट रहे तीन किशोर दोस्तों की बाइक विद्युत पोल से टकरा गई. इससे तीनों की मौके पर ही मौत हो गई. हादसा इतना भयावह था कि बाइक के परखच्चे उड़ गए और युवक गंभीर अवस्था में सड़क किनारे पड़े मिले.

जानकारी के मुताबिक हथना बुजुर्ग निवासी तीन दोस्त 18 वर्षीय अंशुमान परिहार पुत्र संतराम, 17 वर्षीय अंकित शाक्यवार पुत्र कमलेश और 17 वर्षीय कृष्ण कुमार विश्वकर्मा पुत्र सुनील मंगलवार यानी 2 दिसंबर की रात करीब 9 बजे TVS राइडर बाइक से भंडारा खाने के लिए ग्राम गधेला पहुंचे थे.

मुख्य मार्ग की बजाय कच्चे रास्ते का किया था इस्तेमाल

कार्यक्रम खत्म होने के बाद रात में लौटते समय उन्होंने मुख्य मार्ग की बजाय कच्चे रास्ते का उपयोग किया. यह रास्ता जगह–जगह गहरे गड्ढों, खंदकों और अंधेरे से भरा हुआ था. इस दौरान तेज रफ्तार के चलते बाइक अनियंत्रित हो गई और सड़क किनारे लगे विद्युत पोल से जोरदार टक्कर हो गई.

अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में तीनों ने तोड़ दिया दम

टक्कर इतनी तेज थी कि तीनों युवक सिर के बल पोल से जा भिड़े और गंभीर रूप से घायल होकर सड़क पर तड़पते रहे. देर रात भंडारे से लौट रहे ग्रामीणों ने जब उन्हें देखा तो तुरंत ग्राम प्रधान सहित अन्य लोगों को सूचना दी. मौके पर सिरसा कलार थाना प्रभारी परमेन्द सिंह पुलिस बल के साथ पहुंचे. एंबुलेंस की सहायता से तीनों को उरई मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही तीनों ने दम तोड़ दिया.

जिस स्थान पर यह दुर्घटना हुई, वह जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर है. हादसे की खबर जैसे ही हथना बुजुर्ग गांव पहुंची तो पूरे गांव में कोहराम मच गया. परिजनों का रो–रोकर बुरा हाल है. ग्रामीणों ने दुर्घटना के लिए खराब कच्चे रास्ते, अंधेरा और प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार बताया है.

बचपन से घनिष्ठ दोस्त थे तीनों

दुर्घटना में जान गंवाने वाला 18 वर्षीय अंशुमान परिहार दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था और कुछ ही दिन पहले गांव आया था. उसका साथी 17 वर्षीय कृष्णकुमार विश्वकर्मा अपने पिता के साथ दुकान पर हाथ बंटाता था. वहीं, 17 वर्षीय अंकित शाक्यवार घर पर रहकर परिवार का सहयोग करता था. तीनों बचपन से घनिष्ठ दोस्त थे और अक्सर साथ ही रहते–घूमते थे.