जनहित याचिका पर किया प्रताड़ित, कोर्ट की सख्ती से चार पुलिसकर्मी और लेखपाल निलंबित
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ एक शख्स ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. याचिकाकर्ता का ऐसा करना उसपर और उसके वकील पर भारी पड़ गया. जौनपुर में याचिकाकर्ता को राहत मिलने की बजाय वकील और याचिकाकर्ता की मुश्किलें बढ़ गई. पुलिसकर्मी आरोपी पक्ष के लोगों मिल गए. उन्होंने याचिकाकर्ता पक्ष के शख्स को गिरफ्तार किया और डराकर 2 हजार रुपये लिए. इतना ही नहीं ये सभी याचिका दायर करने वाले वकील पक्ष के पास चले गए.
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की. लेकिन, एक याचिका दायर करने वाले शख्स और उनके वकील को ऐसा करना भारी पड़ गया. आरोप है कि हल्का लेखपाल और पुलिसकर्मियों ने आरोपी पक्ष से मिलकर पीड़ित को पहले अरेस्ट किया फिर दो हजार रु लेकर उसे छोड़ दिया. इसके बाद याची के अधिवक्ता के घर पुलिस ने दबिश देकर केस से पीछे हटने के साथ ही अरेस्ट करने का प्रयास किया. हालांकि, कोर्ट की फटकार के बाद निरीक्षक, उपनिरीक्षक और दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है. दो पुलिसकर्मियों, हल्का लेखपाल और विपक्षी के खिलाफ केस भी दर्ज कराया गया है.
ये पूरा मामला मुंगराबादशाहपुर के बड़गांव का है. इस गांव में सरकारी जमीन कब्जा करने के मामले में जोखन बिंद के खिलाफ गांव के ही गौरी शंकर सरोज ने शिकायत की थी. एसडीएम स्तर पर जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो गौरी शंकर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की.
हाई कोर्ट में दायर की याचिका
पीड़ित ने 30 अप्रैल 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. इस याचिका के याची अधिवक्ता विष्णु कांत तिवारी भी बड़गांव के ही रहने वाले हैं. कोर्ट ने जब अवैध कब्जे पर कार्रवाई को लेकर संज्ञान लिया तो हल्का लेखपाल और पुलिसकर्मियों को याचिकाकर्ता की याचिका नागवार लग गई. फिर क्या, पुलिस और लेखपाल मिलकर पीड़ित याचिकाकर्ता के घर जाकर जो किया उसने जौनपुर पुलिस को मुसीबत में डाल दिया है.
याचिकाकर्ता से वसूला 2 हजार रुपये
पीड़ित अधिवक्ता ने बताया कि पुलिसकर्मी 17 मई को लेखपाल के साथ याचिकाकर्ता के घर जाकर उसके पोते को अरेस्ट करके अपने साथ ले जाने लगे. रास्ते में उसे छोड़ने के एवज में पुलिस ने 2 हजार रुपये वसूलकर पीड़ित के पोते को छोड़ दिया.
अधिवक्ता के घर पर दी दबिश
जौनपुर पुलिस यहीं नहीं रुकी, उसने जनहित याचिका करने वाले अधिवक्ता विष्णु कांत तिवारी पर दबाव बनाने और उन्हें इस केस से पीछे हटने के लिए हर कोशिश की. वकील ने बताया कि मुंगरा बादशाहपुर के इंस्पेक्टर दिलीप सिंह खुद व उपनिरीक्षक इंद्र देव सिंह समेत दूसरे पुलिसकर्मियों के फोन से कई बार फोन करके उन्हें थाने बुलाया. इतना ही नहीं देर रात पुलिस टीम के साथ अधिवक्ता के घर जाकर दबिश भी दी. मौके पर अधिवक्ता के घरवालों के साथ अभद्रता की.
इस मामले में अधिवक्ता ने 11 जुलाई को हाईकोर्ट में एफिडेविड देते हुए पुलिसकर्मियों के काम के बारे में कार्रवाई की मांग की. कोर्ट ने जौनपुर के एसपी को फटकार लगाते हुए यह आदेश दिया कि बिना कोर्ट के आदेश के जौनपुर पुलिस याची वकील और उसके परिवार को परेशान नहीं कर सकती.
15 जुलाई को एसपी तलब
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जौनपुर के एसपी डॉ कौस्तुभ को उपस्थित होकर दोबारा जांच कर पर्सनल एफिडेविड देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने जब जौनपुर के एसपी से इस पूरे मामले में जांच कर रिपोर्ट मांगी थी, तो जांच करने वाले जौनपुर के एएसपी ग्रामीण आतिश कुमार सिंह ने बिना जांच किए ही कोर्ट में गलत रिपोर्ट दे दी थी. इसके बाद कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए एएसपी ग्रामीण पर कड़ी नाराजगी जताई. हालांकि, इस मामले में एसपी डॉ कौस्तुभ को खुद दोबारा जांच करके 15 जुलाई को एफिडेविड के साथ तलब किया है.
SP ने की कार्रवाई
जनहित याचिका दायर करने वाले मामले में याची और उसके अधिवक्ता के साथ गलत व्यवहार करने वाले दोषी उपनिरीक्षक इंद्रदेव सिंह, हल्का सिपाही पंकज मौर्य, नितेश गौड़ समेत मुंगरा बादशाहपुर के प्रभारी निरीक्षक दिलीप सिंह को निलंबित कर दिया है. इस पूरे मामले में लापरवाही बरतने वाले लेखपाल विजय शंकर को मछलीशहर एसडीएम ने निलंबित कर दिया है. इस मामले में एसपी ने दोषी पुलिसकर्मी पंकज मौर्य, नितेश गौड़ और लेखपाल विजय शंकर एवं विपक्षी शिव गोविंद बिंद के खिलाफ केस दर्ज कराया है,