जब महिला कारोबारी को बदनाम करने के लिए छपवा दी ‘डर्टी बुक्स’, अखिलेश दुबे के गुनाहों की लिस्ट में एक और कहानी

कानपुर की एक महिला व्यापारी ने अखिलेश दुबे गैंग के खिलाफ रंगदारी और उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है. गैंग ने 2009 से 2011 के बीच उससे लगभग 50 लाख रुपये की रंगदारी वसूली. वहीं, पैसे देने से मना करने पर गैंग ने होटल कब्ज़ाने की कोशिश की, मारपीट की और उसके नाम से अश्लील किताबें छपवाईं. पुलिस ने मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी है.

कानपुर का अखिलेश दुबे Image Credit:

उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर में बहुचर्चित अखिलेश दुबे गैंग की काली करतूत एक महिला कारोबारी ने खोल कर रख दी है. बताया कि इस गैंग ने उनसे साल 2009 से 2011 के बीच करीब 50 लाख रुपये की रंगदारी वसूली. इसके बाद उन्होंने पैसे देने से मना किया तो इस गैंग के लोगों ने होटल कब्जाने का प्रयास किया. इस दौरान मारपीट, लूटपाट तो की ही, उनके नाम से अश्लील किताबें छपवाकर बांट दी. इस संबंध में पीड़ित महिला कारोबारी ने कानपुर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार को शिकायत दी है. वहीं पुलिस कमिश्नर ने मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी है.

साकेत नगर में रहने वाली इस महिला कारोबारी ने बताया कि उन्होंने साल 2009 में दो महिला व एक पुरुष साथी के साथ मिलकर बारादेवी क्षेत्र में होटल का कारोबार शुरू किया था. अभी होटल शुरू ही हुआ था कि अखिलेश दुबे अपने साथियों के साथ आया और दो लाख रुपये हर महीने रंगदारी देने को कहा. पीड़िता ने बताया कि शुरू में तो वह डर के मारे आरोपी को रंगदारी की रकम भेजती रहीं, लेकिन बाद में आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से उन्होंने पैसे देना बंद कर दिया. इसके बाद जनवरी 2010 में आरोपी अखिलेश अपने टाइपिस्ट अजय निगम और अन्य असलहाधारियों के साथ होटल पहुंचा और कर्मचारियों को डरा धमकाया. इस दौरान उन्होंने विरोध किया तो आरोपी ने उनके गहने तक छीन लिए.

शादी के दिन भिजवाया था पेशी का नोटिस

पीड़िता के मुताबिक इस घटना के बाद उसके सभी पार्टनर डर की वजह से भाग गए और उन्हें अकेले ही आरोपी से लोहा लेना पड़ा. पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि आरोपी ने उनका चरित्र हनन करने के लिए अश्लील किताबें छपवाई और उनके जान पहचान के लोगों में बंटवा दिया. उन्होंने इसका विरोध किया तो आरोपी ने बंदूक दिखाकर उन्हें डराने की कोशिश की थी. यही नहीं, आरोपी ने उन्हें झूठे मुकदमे में भी फंसाने की कोशिश की और 31 मई 2010 को किदवई नगर थाने में पेशी का नोटिस भिजवाया. जबकि उसी दिन उनकी शादी हो रही थी. ऐसे में उन्होंने डीजीपी से गुहार लगाई थी.

मजबूरी में बेचना पड़ा होटल

पीड़िता के मुताबिक उन्होंने आरोपी के खिलाफ कई बार पुलिस में शिकायत दी, लेकिन प्रभावशाली होने के कारण पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. उसके सहयोगी अजय निगम पर मुकदमा तो दर्ज हुआ, लेकिन विवेचना में फाइनल रिपोर्ट लगाकर उसे खत्म कर दिया गया. पीड़िता ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि आरोपी के उत्पीड़न से परेशान होकर उन्हें साल 2013 में अपना होटल बेचना पड़ा था. हाल ही में उन्हें “ऑपरेशन महाकाल” के तहत आरोपी की गिरफ्तारी की खबर मिली तो उन्होंने हिम्मत जुटाकर तहरीर दी है.