डॉक्टर से आतंकी बनी शाहीन का मेडिकल लाइसेंस निरस्त, कॉलेज बोर्ड से नाम भी मिटा, अब आरिफ की बारी
दिल्ली ब्लास्ट मामले में पकड़े जाने के बाद डॉ शाहीन का मेडिकल रजिस्ट्रेशन तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है. इसी मामले में कानपुर कार्डियोलॉजी में तैनात रहे सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर मोहम्मद आरिफ मीर का भी रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है.
दिल्ली ब्लास्ट मामले को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने कई गिरफ्तारियां की थीं. इसमें एक गिरफ्तारी डॉ शाहीन सईद की भी थी. यह जैश के लिए रिक्रूटर के तौर पर काम कर रही है. वह पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की भारत में महिला विंग की प्रमुख थी. जांच में पता चला है कि वह देश में महिला आतंक ब्रिगेड बनाने की तैयारी में थी.
अब यूपी स्टेट मेडिकल काउंसिल ने डॉ शाहीन का शाहीन का मेडिकल रजिस्ट्रेशन तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है. काउंसिल की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह कार्रवाई इंडियन मेडिकल काउंसिल (प्रोफेशनल कंडक्ट, एटीकेट एंड एथिक्स) रेगुलेशन-2002 के उल्लंघन के आधार पर की गई है. डॉक्टर शाहीन पर धमाके की साजिश में संलिप्तता के गंभीर आरोप हैं.
8 साल तक जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में शाहीन ने किया था काम
इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने भी उनकी सदस्यता समाप्त कर दी थी. आईएमए कानपुर शाखा की पहल पर दिल्ली मुख्यालय ने यह कदम उठाया था. डॉक्टर शाहीन वर्ष 2006 से 2013 तक कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में फार्माकोलॉजी विभाग में लगभग आठ साल तक लेक्चरर रहीं. इसके बाद उन्होंने करीब 15 माह तक विभागाध्यक्ष का काम भी देखा.
आरिफ मीर का भी रजिस्ट्रेशन भी होगा रद्द
इसी मामले में कानपुर कार्डियोलॉजी में तैनात रहे सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर मोहम्मद आरिफ मीर का भी रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है. संस्थान और प्रशासन दोनों ने उन्हें बर्खास्त करने और वेतन रोकने का प्रस्ताव चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय (डीजीएमई) को भेज दिया है.
दूसरी काउंसलिंग में डॉ आरिफ को मिली थी सीट
जम्मू-कश्मीर मूल के डॉ. आरिफ को नीट-एसएस 2025 में 1608 रैंक के साथ एक अगस्त 2025 को डीएम कार्डियोलॉजी में प्रवेश मिला था. पहले उन्होंने एसजीपीजीआई लखनऊ के लिए आवेदन किया था, लेकिन सीट नहीं मिलने पर दूसरी काउंसलिंग में यह सीट उन्हें आवंटित हुई.
डॉ शाहीन का नाम भी कॉलेज के बोर्ड से हटा
दोनों ही मामलों में अब सुरक्षा एजेंसीज के साथ अन्य विभाग भी कड़ी कार्यवाही कर रहे है. दोनों आरोपियों का नाम ब्लास्ट मामले में आने के बाद से मेडिकल संस्थाएं इनके नाम के साथ अपनी संस्था का नाम जोड़े रखना नहीं चाहती. यही कारण था कि कानपुर मेडिकल कॉलेज में तैनात रही डॉ शाहीन का नाम भी कॉलेज के बोर्ड से हटा दिया गया है. कार्डियोलॉजी में तैनात रहे डॉक्टर आरिफ के संबंध में भी अब कोई बात नहीं करना चाहता है. सभी इस बात से हैरान हैं कि कैसे एक व्हाइट कॉलर जॉब वाला डॉक्टर इस तरह की आतंकी गतिविधियों में शामिल हो सकता है.
