ट्रंप की ‘डिक्टेटरशिप’ पर कानपुर के लेदर कारोबारियों का पलटवार, रूस में खोजा नया बाजार; जानें कितने का है कारोबार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले का कानपुर के लेदर और केमिकल कारोबारियों ने करारा जवाब दिया है. शहर के कारोबारियों ने अब अमेरिका को किनारे कर रूस में नया बाजार तलाश लिया है. कानपुर के कारोबारियों को रूस की ओर से मिले ऑफर और ट्रेड फ्री देशों के रुख को देखते हुए इस चुनौती का सामना करने की तैयारी कर ली है.

कानपुर के कारोबारी कर रहे हैं दूसरे बाजार की तलाश

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी से एक तरफ पूरी दुनिया में हलचल मची है. इसमें भी बसे ज्यादा चर्चा भारत की हो रही है. दरअसल ट्रंप की ओर से भारत पर 50% का टैरिफ लगाने के बाद भी भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. ऐसे में ट्रंप की इस डिक्टेरशिप का जवाब कानपुर के लेदर और केमिकल कारोबारियों ने अपने तरीके से देने का फैसला किया है. यहां के कारोबारियों ने रूस के अलावा कई अन्य ट्रेड फ्री देशों में नया बाजार भी तलाश लिया है.

लेदर कारोबारियों के मुताबिक उन्हें रूस से ऑफर आ रहे हैं. इसी प्रकार केमिकल कारोबारियों ने ट्रेड फ्री देशों की तरफ जाने का मन बना लिया है. इन कारोबारियों का कहना है कि ट्रंप के डिक्टेटरशिप और टैरिफ की वजह से कुछ समय के लिए दिक्कत जरूर होगी, लेकिन हम अपने देश की सरकार के साथ हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डिक्टेटरशिप दिखाते हुए भारत से कहा था कि वो रूस से तेल की खरीददारी ना करे.

बड़ा है अमेरिका के साथ लेदर का कारोबार

जब देश की सरकार ने इस मनमाने आदेश को मानने से इंकार कर दिया तो डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के ऊपर पहले 25% और फिर उसके बाद 50% का टैरिफ लगा दिया. इस वजह से देश के कारोबारियों में काफी नाराजगी है. अगर हम कानपुर की बात करें तो यहां से भारी मात्रा में लेदर का कारोबार अमेरिका के साथ होता है. ऐसे में टैरिफ बढ़ने की वजह से लेदर कारोबारियों को मुश्किलों के सामना करना पड़ेगा. ऐसे में एक तरफ रशिया से खरीददारों का ऑफर आना शुरू हुआ है दूसरी तरफ कारोबारी भी ट्रेड फ्री देशों की तरफ रुख कर रहे हैं.

रूस से बढ़ेगा कारोबार

काउंसिल ऑफ लेदर एक्सपोर्ट के जावेद इकबाल ने बताया कि कानपुर और उन्नाव को मिलाकर तकरीबन 2000 करोड़ का कारोबार अमेरिका से होता है. ऐसे में अगर टैरिफ रहा तो कारोबार करने में बहुत परेशानी आ जाएगी. उन्होंने कहा कि रूस से पहले से कारोबार हो रहा है जो तकरीबन 1000 करोड़ के आस पास है लेकिन, अब वहां के कारोबारियों का ऑफर आना शुरू हो गया है. रूस से कारोबार बढ़ने की उम्मीद है. जावेद इकबाल ने बताया कि पाकिस्तान, कंबोडिया जैसे देशों का टैरिफ कम रखा गया है जिसकी वजह से ऑर्डर्स वहां शिफ्ट होने की आशंका है.

उन्होंने कहा कि हालांकि, हम सरकार के साथ है और टैरिफ नहीं हटा तो हम लोग भी ऑस्ट्रेलिया, दुबई, यूके जैसे ट्रेड फ्री देशों की ओर रुख करेंगे. जावेद इकबाल ने बताया कि यूएस का डेलिगेशन सरकार से मिलने आने वाला है उसके बाद कोई फैसला लिया जाएगा. जावेद इकबाल ने माना कि यह डोनाल्ड ट्रंप की डिक्टेटरशिप है और कोई देश हमको नहीं बता सकता कि हमको तेल कहां से खरीदना है.

केमिकल के कारोबारियों की बढ़ सकती है दिक्कत

दूसरी तरफ केमिकल का भी बड़ा कारोबार यूपी और कानपुर से होता है. यूपी डाई एंड केमिकल मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के महामंत्री आर के सफड़ ने बताया कि यूपी से डाई, पिगमेंट, एग्रो केमिकल, अमीनो कंपाउंड जैसे कई केमिकल बाहर के देशों में एक्सपोर्ट होते है. ट्रंप का टैरिफ बढ़ने से केमिकल के कारोबारियों को दिक्कत होगी. उन्होंने बताया कि दूसरे ट्रेड फ्री देशों की तरफ हमने रुख करना शुरू कर दिया है.

उन्होंने कहा कि ट्रंप की धमकियों के आगे हम झुकने वाले नहीं है और हम ऐसे देशों से व्यापार शुरू करेंगे जहां टैरिफ नहीं है. हालांकि, उन्होंने माना कि इसमें कुछ महीनों का समय लग सकता है और तब तक निश्चित तौर पर कुछ परेशानियां आएंगी. उन्होंने बताया कि हमारे यहां बनने वाले केमिकल कई ऐसे केमिकल हैं जो मेडिसिन, प्लास्टिक, फर्टिलाइजर इत्यादि में काम आते हैं.

कानपुर के कारोबारियों का यह साफ तौर पर कहना है कि यह डोनाल्ड ट्रंप की डिक्टेटरशिप है. उनका यह मानना है कि जितना हमको बेचने की जरूरत है उतना ही उनको खरीदने की जरूरत है. भारत से कारोबार को कम करके अमेरिका का ज्यादा नुकसान होने वाला है. कारोबारियों का मानना है कि कुछ समय के लिए दिक्कत जरूर हो सकती है लेकिन, उसके बाद पूरी दुनिया पड़ी है कारोबार करने के लिए. जो हमको ज्यादा सुविधाएं देगा हम उसके साथ काम करेंगे.