दो जून की रोटी तलाशने में बीती जवानी, ढलती उम्र लोग क्यों तलाश रहे ‘बुढ़ापे की लाठी’? हैरान कर देगी वजह
बढ़ती उम्र और अकेलेपन के डर से लोगों में बच्चा गोद लेने की प्रवृति बढ़ रही है. खासतौर पर कानपुर में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने पूरी जवानी तो करियर की भागमभाग में बीता दी और अब मौका चूकने के बाद वह बुढ़ापे में सहारे की तलाश करने लगे हैं.

जीवन की आपाधापी व करियर की रेस का असर लोगों की पर्सनल जिंदगी पर खूब देखा जा रहा है. उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर के लोग तो करियर बनाने के चक्कर में परिवार बढ़ाना तक भूल जा रहे हैं. वहीं, उम्र के ढलान पर जब उन्हें इस गलती का एहसास हो रहा है तो वह बच्चा गोद लेने की जुगत में लग जा रहे हैं. महानगर में ऐसे लोगों की संख्या बीते कुछ समय में तेजी से बढ़ी है. पूछने पर यह सभी लोग एक ही जवाब दे रहे हैं कि आखिर उन्हें बुढ़ापे का कोई तो सहारा ही.
हमने ऐसे ही कुछ लोगों से बात की. सबने लगभग एक ही जवाब दिया. कहा कि उनकी जवानी तो करियर बनाने में ही गुजर गई. अब उम्र के ढलान पर उन्हें अपने परिवार का ध्यान आया है. इससे भी बड़ा सवाल उन्हें परेशान कर रहा है कि आखिर बुढापे में उनका सहारा कौन बनेगा. चूंकि अब कुछ हो नहीं सकता, इसलिए परिवार बढ़ाने के लिए वह बच्चा गोद ले रहे हैं. कानपुर के बर्रा में रहने वाली एक महिला ने बताया कि उनका तलाक हो चुका है. 55 साल की उम्र में वह अकेले रहती है.
ढलती उम्र में बच्चों को गोद ले रहे लोग
उन्होंने बताया कि इस उम्र में उन्हें अकेलापन महसूस हुआ और बुढापे की चिंता सताने लगी तो उन्होंने गाजियाबाद से आठ साल का बच्चा गोद ले लिया. अब वह इसी बच्चे को पाल पोस कर बड़ा करने की कोशिश में है. इसी प्रकार कानपुर के विजय नगर की रहने वाली दंपत्ति को 55 साल की उम्र में बच्चे की चाह पैदा हुई. इसके बाद सह सेंट्रल अडॉप्शन रिर्सोस अथॉरिटी पहुंची और वहां से ए 14 साल की बेटी को गोद लिया है. उनका मानना है कि बेटों से ज्यादा जिम्मेदार बेटियां होती है.
अडॉप्शन ऑथोरिटी में करना होता है आवेदन
इसी प्रकार सिविल लाइंस के बुजुर्ग दंपत्ति ने बनारस से एक बच्चे को गोद लिया है, तो कल्याणपुर के दंपत्ति ने राजस्थान से 7 वर्षीय बच्चा गोद लिया. जबकि अथॉरिटी के पास अभी भी बच्चा गोद लेने के लिए आधा दर्जन से अधिक आवेदन लंबित है. विधि सह परवीक्षा अधिकारी रागिनी पांडे के मुताबिक बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स ऑथोरिटी के माध्यम से होती है. यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी है, इसलिए इसमें समय लग रहा है. उन्होंने स्वीकार किया कि लोग बुढापे की लाठी तलाशने के चक्कर में बच्चा गोद ले रहे हैं. यही वजह है कि उम्र के ढलान में आने के बाद लोग आवेदन कर रहे हैं.



