105 साल पहले अंग्रेज ने पत्नी के नाम बनाया कानपुर का ये अस्पताल, अब सुपर स्पेशलिटी बनेगा; योगी सरकार की मंजूरी

उत्तर प्रदेश में कानपुर के ऐतिहासिक द जार्जिना मैकरॉबर्ट मेमोरियल अस्पताल को अब सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में अपग्रेड किया जाएगा. योगी सरकार ने PPP मॉडल पर इसके निर्माण को मंजूरी दी है. यह फैसला कानपुर वासियों को शहर के बीच उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करेगा. 1920 में स्थापित यह अस्पताल अब आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बनेगा.

द जार्जिना मैकराबर्ट मेमोरियल हॉस्पिटल, कानपुर

उत्तर प्रदेश में कानपुर के प्रसिद्ध द जार्जिना मैकराबर्ट मेमोरियल हॉस्पिटल को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के रूप में अपग्रेड किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंजूरी दे दी है. पिछले दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने का फैसला किया. इस फैसले के तहत PPP (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) मॉडल पर इस अस्पताल को मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल का रूप दिया जाएगा. इसके लिए पुरानी इमारत में जरूरी सुधार किया जाएगा. इससे बीच शहर के अंदर कानपुर वासियों को एक उच्च स्तरीय मेडिकल सुविधा मिल जाएगी.

इस प्रोजेक्ट के साथ ही एक अंग्रेज का अपनी पत्नी से प्रेम हमेशा के लिए अमर हो जाएगा. बता दें कि सिविल लाइन स्थित यह अस्पताल करीब 45000 वर्ग मीटर जमीन पर बना है. इस अस्पताल का निर्माण करीब 105 साल पहले साल 1920 में अंग्रेज अफसर सर अलेक्जेंडर मैक्रोबर्ट ने कराई थी. दरअसल उस समय यहां मेडिकल सुविधा ना के बराबर थी. ऐसे में समुचित इलाज नहीं मिलने की वजह से सर अलेक्जेंडर मैक्रोबर्ट की पत्नी का देहांत हो गया था. ऐसे में उन्होंने अपनी पत्नी की याद में यहां अस्पताल बनवा दिया.

नजूल की है जमीन

शुरू में यह अस्पताल केवल अंग्रेजों के लिए ही था, लेकिन देश की आजादी के बाद अंग्रेज यहां से चले गए और यह जमीन नजूल की हो गई. इसके बाद इस अस्पताल का संचालन एक ट्रस्ट के जरिए किया जाने लगा. बाद में कानपुर की आबादी बढ़ने के बाद इस अस्पताल की सुविधाएं बढ़ाने की मांग होने लगी. इसे देखते हुए साल 2021 में इस अस्पताल की ज़मीन एक सुपर-स्पेशियलिटी सुविधा के लिए राज्य सरकार को ट्रांसफर कर दिया गया. वहीं अब सीएम योगी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में इस अस्पताल को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में अपग्रेड करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.

लीक से हटकर फैसला

इसके लिए सरकार ने यह भूमि केडीए को स्थानांतरित कर दी है. सरकार ने केडीए यानी कानपुर विकास प्राधिकरण को यह जमीन मुफ्त में दी है. आम तौर सरकार केवल राज्य सरकार के सर्विस सेक्टर को ही मुफ्त में जमीन देती है. वहीं नॉन सर्विस सेक्टर को जमीन के बदले सर्किल रेट के बराबर भुगतान करना होता है. इस मामले को मंजूरी देते हुए यूपी कैबिनेट ने अपवाद बताते हुए साफ किया है कि इस फैसले का नजीर यानी दूसरे मामलों में उदाहरण के रूप में पेश नहीं किया जाएगा.