सपना ही रह जाएगा न्यू कानपुर सिटी! 29 साल बाद भी नहीं हो पाई लॉन्चिंग, फिट अटका प्रोजेक्ट

कानपुर के लोग न्यू कानपुर सिटी योजना के लॉन्च का इंतज़ार कर रहे हैं लेकिन, रेरा में रजिस्ट्रेशन न होने की वजह से योजना का उद्घाटन 15 अगस्त तक टल सकता है. 29 साल पुरानी इस महत्वाकांक्षी परियोजना में स्कूल, होटल जैसी सुविधाएं शामिल हैं. जमीन अधिग्रहण में देरी और रेरा रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अधूरी होने के चलते परियोजना में विलंब हो रहा है.

केडीए की परियोजना

कानपुर के लोग न्यू कानपुर सिटी योजना का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. नया कानपुर बसाने की केडीए की इस 29 साल पुरानी महत्वकांक्षी योजना पर अभी भी ग्रहण लगा हुआ है. फिलहाल, इस योजना का उद्घाटन करने की तैयारी की जा रही है. पहले 5 अगस्त को इसका उद्घाटन किया जाना था. अब तक इसका रेरा में रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. फिलहाल, केडीए प्रशासन अब उम्मीद कर रहा है कि 15 अगस्त से पहले इसका रजिस्ट्रेशन करा लिया जाए.

रेरा यानी कि रियल एस्टेट अधिनियम 2016 जिसके तहत सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है. इस कानून को लाने के पीछे सरकार की मंशा थी कि खरीददारों के हितों की रक्षा हो सके. कानपुर विकास प्राधिकरण ने नया कानपुर बनाने के उद्देश्य से मैनावती मार्ग से बिठूर और कल्याणपुर तक 29 साल पहले न्यू कानपुर सिटी परियोजना की शुरुआत की थी. इस परियोजना में स्कूल, होटल से लेकर सभी तरह की सुविधाओं का प्रावधान किया गया है. पिछले तकरीबन तीन दशकों से इस परियोजना लिखा पढ़ी और जमीन अधिग्रहण की वजह से लटकी पड़ी थी.

रेरा के तहत नहीं हुआ रजिस्ट्रेशन

केडीए ने इस परियोजना की लॉन्चिंग की तैयारी 15 अगस्त के लिए की हुई है. अब इसमें जो पेंच फंस गया है वो रेरा के रजिस्ट्रेशन का है. इस परियोजना का अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. ऐसे में इसकी लॉन्चिंग कैसे होगी इस पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. हालांकि, अगर केडीए प्रशासन की मानें तो रेरा के रजिस्ट्रेशन के लिए भेज दिया गया है और 15 अगस्त तक पंजीकरण होने की उम्मीद है. केडीए वीसी मदन गबरयाल का कहना है कि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है. तय समय पर लॉन्चिंग होगी. तब तक रजिस्ट्रेशन हो जाएगा और अगर नहीं भी होता है तो लॉन्चिंग में दिक्कत नहीं है.

इस परियोजना की शुरुआत साल 1996 में हुई थी. योजना के लिए पांच गांव की जमीनों को चिन्हित किया गया था. इसको बनाने के लिए केडीए, ग्राम समाज की जमीन ली गई थी और बाकी जमीन किसानों से अधिग्रहीत की जानी थी. किसानों से मिलने वाली जमीन में से काफी हिस्सा मिल चुका है लेकिन, अभी भी कुछ जमीन का अर्जन बाकी है जिसके लिए प्रशासन की तरफ से कवायद चल रही है.