कानपुर बन रहा नया सिल्क हब, कीटपालन से किसान खुशहाल; आय हुई दोगुनी

कानपुर उत्तर भारत का उभरता सिल्क हब बन रहा है. कभी पूरब का मैनचेस्टर रहे कानपुर में अब रेशम क्रांति आई है. एरंडी और शहतूत रेशम कीटपालन से किसानों में खुशहाली है. किसानों की आय दोगुनी हो रही है. पारंपरिक खेती के साथ यह अतिरिक्त आय का सबसे भरोसेमंद जरिया बन गया है.

कानपुर में रेशम क्रांति

उत्तर प्रदेश का कानपुर, कभी पूरब का मैनचेस्टर कहा जाता था. यहां सैकड़ों कारखाने हुआ करते थे. समय के साथ मिलें बंद हो गईं, लेकिन आज यह शहर उत्तर भारत में एक उभरते रेशम केंद्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है. रेशम कीटपालन घाटमपुर, पतारा, भीतरगांव और बिल्हौर क्षेत्र के सैकड़ों गांवों के किसानों के जीवन में रौनक ला रहा है.

रेशम की चमक किसानों की जिंदगी रौशन कर रही है. किसानों के लिए यह पारंपरिक खेती के साथ अतिरिक्त आय का भरोसेमंद जरिया बन गया है. यह नया मॉडल ग्रामीण महिलाओं और परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत कर रहा है. एरंडी और शहतूत रेशम कीटपालन से किसानों को सालाना 60-65 हजार रुपये प्रति एकड़ अतिरिक्त आय हो रही है.

गांव पहुंचकर खरीदारी कर रहे व्यापारी

एरंडी की पत्तियों पर पल रहा ऐरी रेशम सबसे लोकप्रिय है. एक किसान प्रति चक्र 100-150 डीएफएल (रोगमुक्त अंडे) डालकर 50-60 किलो कोकून तैयार कर लेता है. व्यावसायिक कोकून 100-110 रुपये किलो और बीज कोकून 300 रुपये किलो तक बिक रहा है. गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और बनारस के व्यापारी गांव पहुंचकर सीधे खरीदारी कर रहे हैं, जिससे किसानों को बाजार की कोई चिंता नहीं रहती.

सुजानपुर के किसान राजेश कुमार कहते हैं, ‘हर चक्र में नकद आय हो जाती है. खेती की अनिश्चितता काफी कम हो गई.’ कोटरा मकरंदपुर के सुधीर बताते हैं कि मिर्जापुर और असम में मिले प्रशिक्षण के बाद उत्पादन और गुणवत्ता दोनों बढ़ गए.

चमकदार मलबरी रेशम अधिक कीमती

वहीं बिल्हौर के राजकीय रेशम फार्मों से जुड़े 40-50 किसान शहतूत (मलबरी) रेशम उत्पादन कर रहे हैं. चमकदार मलबरी रेशम को ‘वाइट गोल्ड’ कहा जाता है. इसकी कीमत भी अधिक मिलती है. रेशम विभाग के सहायक निदेशक एसके रावत ने बताया कि जिले में लगभग 600 किसान इससे जुड़े हैं. साल 2024-25 में 389.6 कुंतल रेशम कोकून का उत्पादन हुआ. एरंडी बीज से 35-40 हजार और कोकून से 20-25 हजार रुपये प्रति एकड़ अतिरिक्त आय हो रही है.

सफल मॉडल बन गया रेशम कीटपालन

जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, ‘शासन की प्राथमिकता है कि किसानों को स्थिर और सुरक्षित आय के नए रास्ते मिलें. प्रशिक्षण, बेहतर तकनीक और तय बाजार की त्रिवेणी से रेशम कीटपालन जिले में सफल मॉडल बन गया है. इसे और गांवों तक विस्तार देने का लक्ष्य है. खेतों में एरंडी-शहतूत के बीच पनपता यह सफेद सोना कानपुर के ग्रामीण परिदृश्य को नई चमक और नई उम्मीद दे रहा है.’