इस अस्पताल में लगेगा AI गद्दा, मरीज की तबियत बिगड़ते ही मोबाइल में बजेगा अलार्म

कानपुर के लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में अब गंभीर मरीजों की देखबाल के लिए AI का सहारा लिया जाएगा. यहां भर्ती होने वाले मरीजों के बेडों पर AI तकनीक पर आधारित डिवाइसेज लगाई जाएंगी. इसके बाद अगर किसी मरीज की तबीयत बिगड़ी तो महज कुछ सेकेंडों में ही डॉक्टर व नर्स के मोबाइल में अलार्म बजने लगेगा.

AI बेड के जरिए होगी मरीजों की देखभाल Image Credit: AI

कानपुर में मेडिकल केयर के क्षेत्र में ऐसा पहली बार होने जा रहा है, जब AI डिवाइसेज के जरिए पेसेंट की स्मार्ट तरीके से केयर की जाएगी. यहीं के लाला लाजपत राय मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में मरीजों के लिए AI गद्दे लगाए जाएंगे, जिसके चलते अगर किसी मरीज की तबियत बिगड़ती है तो महज कुछ वक्त में ही ये डिवाइस डॉक्टर्स और नर्सेज को सिग्नल भेज देगी और उनके फोन पर अलार्म बजने लगेगा.

इससे गंभीर मरीजों की स्मार्ट केयर करके उन्हें बचाया जा सकेगा. जीएसवीएम मेडिकल कालेज मैनेजमेंट को CSR फंडिंग के जरिए ऐसी 10 डिवाइसेस मिलने वाली हैं. वैसे बाजार में एक डिवाइस की कीमत 5 से 6 लाख रुपये तक है.

प्राचार्य ने बताया प्रोसेज

GSVM मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. संजय काला का कहना है कि इन स्मार्ट डिवाइसेज का इस्तेमाल एक महीने के भीतर शुरू हो जाएगा. इसके जरिए न केवल गंभीर मरीजों की सही समय पर केयर की जा सकेगी बल्कि यह ऐसी पहली पहल होगी जिसकी शुरुआत प्रदेश के किसी सरकारी मेडिकल कालेज में हो रही है.

उन्होंने बताया कि जब सैकड़ों मरीज अस्पताल में भर्ती होते हैं तो ऐसे में हर मरीज के पास डॉक्टरों व नर्सेज का तुरंत पहुंच जाना कई बार पॉसिबल नहीं होता है. ऐसे स्थिति में AI डिवाइस के जरिए काफी मदद मिल पाएगी. उनका कहना है जो डिवाइस लगाए जा रहे हैं, वो AI आधारित गद्दे होगें. जिस पर मरीज को लिटाया जाएगा.

फौरन पहुंचेगा मेडिकल स्टाफ

इससे लगातार सिग्नल डॉक्टर और नर्स के स्मार्टफोन पर मिलते रहेंगे. ऐसे में इलाज के दौरान अगर किसी मरीज की तबीयत बिगड़ जाती है तो डॉक्टर के फोन पर एक अलार्म बजेगा और मेडिकल स्टाफ वहां फौरन पहुंच जाएगा. इसके बाद मरीज का ट्रीटमेंट किया जा सकेगा.

केयर में होगी आसानी

डा. संजय का ये भी कहना है कि उनके यहां रोज सैकड़ों मरीज भर्ती होते हैं. ऐसे में कई मरीजों की तबीयत ज्यादा बिगड़ जाती है तो डॉक्टरों को बेहद अलर्ट रहना पड़ता है. इस नई डिवाइस के चलते डॉक्टरों का कम्यूनिकेशन गैप कहीं न कहीं कम होने वाला है. इसके साथ ही मरीजों की भी स्मार्ट तरीके से देखभाल होने वाली है. उनका कहना है पहले 10 मशीनों की शुरुआत एक्सपेरिमेंट के तौर पे होने वाली हैं. इसके बाद डिवाइसेज को बढ़ाया जाएगा.