UP में माइक्रोचिप से होगी आवारा कुत्तों की निगरानी, दोबारा काटने पर आजीवन कैद
उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों की पहचान और उनका रिकॉर्ड रखने के लिए उनमें माइक्रोचिप लगाई गई है. चिप से ही कुत्ते के व्यवहार को भी ट्रैक किया जाएगा. अगर कुत्ता बिना उकसावे के किसी को काट लेता है तो उसे एबीसी केंद्र में भेज दिया जाएगा.
उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों के आतंक को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने एक नया और सख्त नियम लागू किया है. अब हर गांव और शहर में आवारा कुत्तों की पहचान के लिए माइक्रोचिप लगाई जाएगी. इस माइक्रोचिप के जरिए कुत्तों का रिकॉर्ड रखा जाएगा और उनके व्यवहार पर नजर रखी जाएगी. यदि कोई कुत्ता दोबारा बिना उकसावे के किसी को काटता है, तो उसे आजीवन एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) केंद्र में रखा जाएगा.
माइक्रोचिप से होगी कुत्तों की निगरानी
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने सभी नगर निकायों, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों को इस नियम को लागू करने के निर्देश दिए हैं. इसके तहत यदि कोई आवारा कुत्ता किसी व्यक्ति को काटता है, तो उसे एबीसी केंद्र में 10 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा. इस दौरान कुत्ते का एंटी-रैबीज टीकाकरण और नसबंदी की जाएगी. साथ ही, उसमें एक माइक्रोचिप लगाई जाएगी, जो उसकी पहचान का आधार बनेगी.
दोबारा काटने पर सख्त कार्रवाई
यदि माइक्रोचिप के जरिए यह पुष्टि होती है कि वही कुत्ता दोबारा किसी को काटता है, तो एक तीन सदस्यीय समिति मामले की जांच करेगी. इस समिति में एक गैर-सरकारी सदस्य, स्थानीय निकाय का प्रतिनिधि और स्थानीय पशु चिकित्साधिकारी शामिल होंगे. जांच में यदि यह साबित होता है कि कुत्ते ने बिना उकसावे के काटा है, तो उसे आजीवन एबीसी केंद्र में रखा जाएगा.
कुत्तों को गोद लेने की सुविधा
नए नियमों के तहत आवारा कुत्तों को गोद लेने की प्रक्रिया को भी आसान बनाया गया है. गोद लेने वाले व्यक्ति को अपना नाम, पता और पहचान का विवरण एबीसी केंद्र में दर्ज कराना होगा. साथ ही, एक शपथ पत्र देना होगा कि वह कुत्ते को दोबारा सड़क पर नहीं छोड़ेगा. माइक्रोचिप के जरिए गोद लिए गए कुत्तों पर भी नजर रखी जाएगी.
माइक्रोचिप लगाने के लिए सेवा प्रदाताओं का चयन नगर निकाय, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत स्वयं करेंगे. गाजियाबाद सहित कई नगर निकायों में इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
कुत्तों के व्यवहार का रिकॉर्ड अनिवार्य
प्रमुख सचिव ने सभी एबीसी और डॉग केयर सेंटर्स को कुत्तों के व्यवहार और स्वास्थ्य का रिकॉर्ड रखने के निर्देश दिए हैं. किसी भी काटने की घटना की पूरी जानकारी दर्ज की जाएगी, ताकि भविष्य में कार्रवाई में आसानी हो.
यह नया नियम न केवल आवारा कुत्तों की समस्या को नियंत्रित करने में मदद करेगा, बल्कि नागरिकों को सुरक्षित माहौल प्रदान करने में भी कारगर साबित होगा. माइक्रोचिप और निगरानी की यह व्यवस्था कुत्तों के व्यवहार को समझने और रैबीज जैसी बीमारियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इस पहल से उत्तर प्रदेश सरकार ने आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए एक ठोस कदम उठाया है, जिससे न केवल जानवरों का कल्याण होगा, बल्कि आम लोगों को भी राहत मिलेगी.