अपने आप खारिज-दाखिल, बंद होगी रजिस्ट्री में धांधली; तहसील में मोनोपॉली के खिलाफ यूपी सरकार का प्रभावी कदम

उत्तर प्रदेश सरकार ने भूमि रजिस्ट्री प्रक्रिया में सुधार के लिए बड़ा कदम उठाया है. इसके लिए सरकार ने नई ऑटोमेटिक प्रणाली शुरू की है. इसमें रजिस्ट्री के बाद स्वत: ही खतौनी में नाम परिवर्तन हो जाएगा. संपत्तियों की आधार लिंकिंग से पारदर्शिता बढ़ेगी और सह-खातेदारों को ऑनलाइन सूचना मिलेगी.

सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश सरकार ने तहसील कर्मियों की मोनोपॉली रोकने, जमीनों की रजिस्ट्री और खारिज दाखिल के खेल को बंद करने के लिए प्रभावी कदम उठाया है. सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया को सरल और सहज बनाने के लिए ऑटोमेटिक सिस्टम शुरू किया है. इस सिस्टम के तहत जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद अपने आप खतौनी में जमीन खरीदने वाले का नाम चढ़ जाएगा. इसके लिए उसे ना तो तहसील में अलग से आवेदन करना होगा और ना ही तहसील कर्मियों के चक्कर काटने होंगे. इस व्यवस्था को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद ने संपत्तियों को आधार कार्ड से लिंक करने का काम शुरू कर दिया है.

संपत्तियों के आधार लिंक होने से यह प्रक्रिया ना केवल पारदर्शी हो जाएगी, बल्कि प्रक्रिया में भी तेजी आ जाएगी. अभी रजिस्ट्री कराने के बाद खारिज दाखिल के लिए अलग से आवेदन करना होता है. इसके बाद प्रक्रिया में ही 45 दिन का समय लग जाता है. इसमें बेचने वाले को मैनुअल तरीके से नोटिस भेजा जाता है और आपत्ति आने पर यह प्रक्रिया और लंबी खींच जाती है. इसकी वजह से जमीन खरीदने वालों को तहसील के चक्कर काटने पड़ते थे. नई व्यवस्था में इस प्रक्रिया का सरलीकरण कर दिया गया है.

समय रहते सह खातेदारों को मिलेगी जानकारी

अब तहसील के रजिस्ट्रार ऑफिस में जमीन की रजिस्ट्री कराते ही एक ऑनलाइन जानकारी राजस्व परिषद को मिल जाएगी. इसके बाद राजस्व परिषद इस संबंध में जमीन बेचने वाले और उस जमीन के सह-खातेदारों को उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एसएमएस या व्हाट्सएप के जरिए नोटिस जारी करेगा. इसके बाद राजस्व परिषद 45 दिनों तक आपत्तियों का इंतजार करेगा और इस दौरान किसी तरह की आपत्ति नहीं मिलने पर अपने आप खारिज दाखिल कर दिया जाएगा. इस प्रकार खतौनी में जमीन बेचने वाले के स्थान पर जमीन खरीदने वाले का नाम दर्ज हो जाएगा.

आपको क्या होगा फायदा

नई प्रक्रिया से जमीनों की खरीद फरोख्त में पारदर्शिता आएगी. जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद ऑटोमेटिक सिस्टम के तहत बेची गई जमीन के सभी सह खातेदारों को नोटिस मिलेगा. इसमें उन्हें भी पता चल जाएगा कि उनके किसी सह खातेदार ने जमीन का कौन सा हिस्सा बेचा है. साथ ही वह यह भी जान सकेंगे कि कहीं उनके सह खातेदार ने उनके कब्जे वाली जमीन तो नहीं बेच दी या फिर बंटवारे के विवाद वाली जमीन तो नहीं बेची. ऐसा होने पर वह तत्काल राजस्व परिषद के सामने आपत्ति दाखिल कर सकेंगे. इसी प्रकार जमीन खरीदने वाले को भी खरीदी गई जमीन का पूरा इतिहास और इससे संबंधित मुकदमों की जानकारी सहज ही मिल जाएगी. इससे धोखाधड़ी पर अंकुश लग सकेगा.