CBI अफसर बनकर करता था फ्रॉड, ठगे ₹85 लाख… अब कोर्ट ने सुनाई सजा
लखनऊ में डिजिटल फ्राड के मामले में एक शख्स को सजा सुनाई गई है. आरोपी ने फर्जी CBI अफसर बनकर कुल 85 लाख रुपये की ठगी को अंजाम दिया था. इसकी शिकायत मिलने बाद पहली बार रिकार्ड समय के भीतर CJM कोर्ट ने अपनी कार्रवाई पूरी करते हुए फैसला सुनाया.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साइबर क्राइम के जरिए ठगी करने के मामले में आरोपी को विशेष न्यायालय CJM कस्टम ने दोषी करार देते हुए 7 साल की कैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने उसपे 68000 रुपए का जुर्माना भी लगाया. ये राज्य में डिजिटल अरेस्ट के मामले सजा का पहला मामला है, जिसे एक मिसाल के तौर पे देखा जा रहा है.
ऐसे किया था फ्राड
ये मामला तब सामने आया, जब 1 मई 2024 को डॉ. सौम्या गुप्ता ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने आरोप लगाया कि एक कॉलर ने खुद को कस्टम अधिकारी बताते हुए उनके नाम से बुक कार्गो से जाली पासपोर्ट, एटीएम कार्ड और 140 ग्राम MDMA जब्त किया. फिर कॉल एक अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर कर दी गई, जिसने खुद को CBI अधिकारी बताते हुए उन्हें डिजिटल अरेस्ट करने की धमकी दी.
आरोपियों ने उन्हें Skype के जरिए वीडियो कॉल करके पूछताछ की और डराकर गिरफ्तारी करने की बात की. आरोप है कि 10 दिनों तक मानसिक दबाव बनाकर उनसे कुल 85 लाख रुपये की ठगी की गई, जिसे बाद में क्रिप्टो करेंसी में बदल कर कई खातों में भेज दिया गया.
पुलिस ने जुटाए पूरे सबूत
शिकायत के बाद साइबर क्राइम टीम ने प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में इस मामले की जांच शुरू हुई. सर्विलांस और तकनीकी विश्लेषण के जरिए महज 5 दिनों में आरोपी देवाशीष राय को गोमतीनगर स्थित मंदाकिनी अपार्टमेंट से गिरफ्तार कर लिया गया. पता चला कि आरोपी ने फर्जी दस्तावेजों से बैंक खाते और सिम कार्ड लेकर इस अपराध को अंजाम दिया था.
साइबर अपराधियों के लिए वार्निंग
इसमें चार्जशीट 2 अगस्त 2024 को दाखिल की गई. पुलिस ने आरोपी की जमानत का विरोध किया और कोर्ट में सभी गवाहों और डिजिटल साक्ष्यों को प्रस्तुत किया. इसके बाद विशेष अदालत ने आरोपी को सजा सुनाते हुए जुर्माना भी लगाया. DCP क्राइम कमलेश दीक्षित ने कहा कि ये सजा साइबर अपराधियों के लिए कड़ा संदेश है, जो फर्जी अफसर बनकर आम जनता के साथ ठगी को अंजाम देते हैं.



