UP में नहीं बढेंगे बिजली के रेट, बैकफुट पर UPPCL; करोड़ों उपभोक्ताओं को मिली बड़ी राहत

उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों में प्रस्तावित भारी वृद्धि अब नहीं होगी. भारी विरोध के बाद विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं के पक्ष में रूख प्रकट किया है.पावर कॉर्पोरेशन ने पिछले दिनों 19,000 करोड़ रुपये के घाटे की भरपाई के लिए 45% तक दरें बढ़ाने का प्रस्ताव किया था. इसका उपभोक्ता संगठनों और उद्योग जगत ने कड़ा विरोध किया है.

सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों में बढोत्तरी का मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है. भारी विरोध के बाद विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं के पक्ष में अपना रूख दिखाया है. इसके बाद बिजली की दरों में बढोत्तरी की अब कोई उम्मीद नहीं रह गई है. इससे पहले पावर कॉर्पोरेशन ने विभिन्न निगमों की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) का हवाला देते हुए करीब 19 हजार करोड़ रुपये के घाटे की बात कही थी. वहीं इस घाटे की पूर्ति के लिए 45 फीसदी तक बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव किया था. राज्य सलाहकार समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा हुई.

खासतौर पर बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर उपभोक्ता परिषद, मेट्रो कॉर्पोरेशन और इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन सहित अन्य सदस्यों ने तीखा विरोध किया. वहीं विद्युत नियामक आयोग ने भी उपभोक्ताओं के पक्ष में वकालत की. इसके बाद बिजली की दरों में बढोत्तरी का मामला ठंडे बस्ते में चला गया. इस बैठक में स्मार्ट मीटर और निजीकरण पर भी सवाल उठे. इस बैठक की अध्यक्षता विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने की.

बैठक में हुई गर्मागर्म बहस

बैठक में कॉर्पोरेशन प्रबंधन ने तर्क दिया कि बीते पांच वर्षों से बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं हुई है. चूंकि स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च भी पूरा करना है. ऐसे में बिजली की दरें बढ़ाना जरूरी है. उनके इस तर्क का उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने तगड़ा विरोध किया. कहा कि नोएडा पावर कंपनी का प्रयोग अब तक विफल रहा है. इसके अलावा उन्होंने स्मार्ट मीटर का खर्च उपभोक्ताओं पर डालने का विरोध किया. वर्मा ने कहा कि निगमों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये का बकाया है. इसे बिजली दरों में समायोजित कर धीरे-धीरे वापस किया जाए, ताकि दरें कम हों और उपभोक्ताओं का पैसा भी लौटे.

मेट्रो कॉर्पोरेशन ने दी बंदी की चेतावनी

मेट्रो कॉर्पोरेशन के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने भी दरों में बढ़ोतरी का विरोध किया. उन्होंने कहा कि मेट्रो को कोई सब्सिडी नहीं मिलती. यदि दरें बढ़ीं तो मेट्रो कॉर्पोरेशन बंदी के कगार पर पहुंच सकता है. इस मौके पर उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, दीपा और डॉ. भारत राज सिंह ने लिखित प्रस्ताव में मांग की कि 33,122 करोड़ रुपये के बकाये के एवज में बिजली दरों में 45 फीसदी की कमी की जाए. उन्होंने केंद्र सरकार की RDSS स्कीम के तहत 44,094 करोड़ रुपये के निवेश का हवाला देते हुए दक्षिणांचल और पूर्वांचल को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही और निजीकरण का विरोध किया.

उपभोक्ताओं के पक्ष में आयोग का मूड

वर्मा ने सवाल उठाया कि जब पावर कॉर्पोरेशन ने 18,885 करोड़ रुपये का टेंडर 27,342 करोड़ रुपये में दिया, तो अतिरिक्त खर्च का बोझ उपभोक्ताओं पर क्यों डाला जाए? इसके अलावा, उन्होंने घरेलू बीपीएल उपभोक्ताओं के लिए प्रस्तावित 3 से 4 रुपये प्रति यूनिट की दरों को बीजेपी के संकल्प पत्र के खिलाफ बताया. बैठक में नियामक आयोग के निदेशक (टैरिफ) सरबजीत सिंह ने प्रस्तुतीकरण के जरिए पूरे विवरण को सामने रखा. इसमें आयोग का मूड उपभोक्ताओं के पक्ष में दिखा. यह फैसला उत्तर प्रदेश के करोड़ों बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी राहत देने वाला है.