15 हजार रुपए लेकर फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश… STF ने 3 को दबोचा, ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा

यूपी के मेरठ में लंबे समय से एक्टिव एक ऐसे गैंग का पता चला है, जो फर्जी मार्कशीटें बनाकर मोटी रकम वसूल कर रहा था. यूपी STF ने कार्रवाई करते हुए इस गिरोह के 3 लोगों को दबोचा है. ये लोग फर्जी टीसी, मार्कसीट और फर्जी तरीके से मार्कसीट के नंबर बढ़वाने का काम करते थे. इसके लिए बाकायदा रेट लिस्ट भी तय थी.

फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश Image Credit:

यूपी STF ने मेरठ में चल रहे एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो फर्जी तरीके से मार्कसीट्स बनाने का काम करता था. यही नहीं ये गैंग टीसी बनाने और मार्क्स बढ़ाने का भी काम करता था. इसके लिए बाकायदा मोटी रकम वसूली जाती थी. जानकारी के मुताबिक ये गैंग पिछले 10 सालों से सक्रिय था और लगातार फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहा था.

3 लोगों को दबोचा

एसटीएफ मेरठ यूनिट ने मेरठ के गंगानगर थाना क्षेत्र से 3 लोगों को गिरफ्तार किया है जो हाई स्कूल, इंटरमीडिएट की मार्कशीट में अवैध रूप से छेड़छाड़ कर फर्जी तरीके से मार्कशीट में मार्क्स बढ़ाकर उच्च शिक्षण संस्थान में प्रवेश दिलवाने के नाम पर वसूली करते थे. जांच में ये भी बात सामने आई है कि ये गैंग के पिछले 10 सालों से इन कामों को अंजाम दे रहा था.

दरअसल में मेरठ पुलिस को पिछले काफी समय से शिकायत मिल रही थी कि इस तरह का एक गिरोह एक्टिव है और लगातार अवैध कामों में लिप्त है. STF अपने सूत्रों की मदद से इस गैंग तक पहुंचने में कामयाब रही और इसके 3 सदस्यों को धर- दबोचा.

आरोपियों ने ये बताया

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे बोर्ड परीक्षा में प्राप्त हुए अंको को बढ़ाकर हाई स्कूल इंटर की मार्कशीट्स में फेरबदल करते थे. जिससे उच्च शिक्षण संस्थाओं में एडमिशन पाना आसान हो जाता था. आरोपियों ने बताया कि प्रति छात्र ₹10000 लेकर अंक को बढ़ाया जाता था और जबकि फर्जी टीसी के लिए ₹3000, इसके अलावा लखनऊ में एक्टिव अपने साथियों के जरिए 10 हजार से से 15 हजार रुपए लेकर बिना परीक्षा दिए बैक डेट की मार्कशीटें तैयार करवाई जाती थी.

मिली कई स्कूलों की फर्जी मार्कसीटें

उन्होंने बताया कि इसके लिए वे अपने साथियों को एक मार्कसीट पर ₹5000 देते थे. STF ने गिरफ्तार आरोपियों की पहचान शिव कुमार,निखिल तोमर, जितेंद्र सिंह के रूप में हुई है. आरोपियों के पास से 4 विभिन्न स्कूलों की मोहरें, कंप्यूटर सीपीयू, प्रिंटर, मार्कशीट, टीसी जैसी चीजें मिली हैं.