फर्जी कंपनियों का खेल! मुरादाबाद में 600 करोड़ के GST घोटाले पर डीआरआई की रेड, कई दफ्तर सील
मुरादाबाद में 600 करोड़ के फर्जी बिलिंग के मामले में डीआरआई ने छापेमारी की है. यहां एक बड़े जीएसटी घोटाले का पर्दाफाश किया गया है. लुधियाना जोन की टीम ने एक प्राइवेट कंपनी के कई ऑफिस को सील कर दिया है. अब इस फर्जीवाड़े की जड़ें कितनी गहरी हैं और कितने लोग इसमें शामिल हैं इसको लेकर पूछताछ की जा रही है. इससे जुड़ा एक व्यापारी दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार भी किया गया है.

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) लुधियाना जोन की टीम फर्जी जीएसटी बिल घोटाले को लेकर प्राइवेट कंपनी के ऑफिस पर छापेमारी कर रही है. यहां 600 करोड़ रुपये का फर्जी जीएसटी बिल घोटाला हुआ है, जिसमें डीआरआई ने छापेमारी करके कंपनी के कई ऑफिस को सील कर दिया है. यह कार्रवाई मुगलपुर के डॉ. एस. कुमार चौराहा स्थित कंपनी दफ्तर पर की गई, जहां टीम ने मौके पर पंचनामा तैयार कर परिसर को बंद कर दिया और नोटिस चस्पा किया.
सूत्रों के मुताबिक, यह छानबीन एक नामचीन व्यापारी से जुड़े मामले में चल रही है, जिस पर कर चोरी, हवाला के लेन-देन और नशीले पदार्थों के नेटवर्क से संबंध रखने के गंभीर आरोप हैं. संबंधित व्यापारी को दिल्ली एयरपोर्ट से उस वक्त पकड़ा गया जब वह देश छोड़ने की कोशिश कर रहा था. हालांकि, इस गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि अब तक किसी भी एजेंसी ने नहीं की है.
फर्मों के ठिकानों को किया सील
डीआरआई टीम ने मुरादाबाद के मुगलपुरा के पास एम/एस अरीब एलॉय इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और डॉलर इम्पेक्स नाम की दो फर्मों के ठिकानों को सील कर दिया है. दोनों कंपनियों का रजिस्ट्रेशन 20 जनवरी 2017 को किया गया था. ये रजिस्ट्रेशन कानपुर की कंपनी के रजिस्ट्रार कार्यालय के तहत हुआ था. कार्रवाई के बाद से इन कार्यालयों में सन्नाटा पसरा हुआ है और कर्मचारी भी मौके पर नहीं मौजूद हैं.
सील को हटाना होगा अपराध
चस्पा किए गए नोटिस में बताया गया है कि परिसर को 23 जुलाई 2025 को लुधियाना के डीआरआई कार्यालय के निर्देश पर सील किया गया है. इसमें साफ कहा गया है कि बिना विभागीय स्वीकृति के इस सील को हटाना कानूनन अपराध होगा. नोटिस वरिष्ठ खुफिया अधिकारी अमित कुमार गौतम की ओर से जारी किया गया है.
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह पूरा मामला करीब 600 करोड़ रुपये के फर्जी बिलिंग घोटाले से जुड़ा है, जिसमें शेल कंपनियों के जरिए बड़े पैमाने पर जीएसटी की चोरी की गई. इस घोटाले में कई और कंपनियां और लोगों के शामिल होने की पूरी संभावना है. मामले की गंभीरता को देखते हुए अब कई जांच एजेंसियां मिलकर पूरे रैकेट की तह तक पहुंचने में जुट गई हैं.



