प्रयागराज का नाथेस्वर महादेव मंदिर, जहां भक्त ताले से कैद करते हैं अपनी मन्नतें
प्रयागराज के यमुना तट पर स्थित नाथेस्वर महादेव मंदिर में भक्त अनोखे अंदाज में अपनी मन्नतें मांगते है. इसके लिए वे यहां अपनी मनोकामनाओं को ताले से लॉक करके उसकी चाबी अपने साथ ले जाते हैं. इसी तरह की मन्नतों के लिए मंदिर में अब तक एक लाख से भी अधिक के ताले देखे जा सकते हैं. आखिर इस मंदिर को लेकर क्या है मान्यता आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते है.
वैसे तो पूरे देश में हजारों शिवालय हैं, और सबकी अपनी- अपनी मान्यता है. सावन की शुरुआत से ही पूरे शिव मंदिरों में भक्तो का तांता लग जाता है. कुंभ नगरी प्रयागराज में एक ऐसा भी मंदिर मौजूद है, जो खासतौर से मन्नतें पूरा करने लिए जाना जाता है. इसके लिए भक्त अपनी मन्नतें ताले से लॉक करते हैं. इसके साथ ही उसकी चाबी अपने साथ लेकर जाते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की मनोकामनाएं जल्द पूरी हो जाती हैं.
मन्नतों को ताले से करते हैं लॉक
देवाधिदेव महादेव के हजारों रूप हैं. ऐसा ही एक विशेष रूप है – प्रयागराज का नाथेस्वर महादेव मंदिर. संगम नगरी प्रयागराज में यमुना तट पर स्थित इस शिव मंदिर में सावन के पवित्र महीने में शिव भक्त अपनी मन्नतों के ताले लगाते हैं. इसके साथ ही इसकी चाबी अपने पास ले जाते हैं. जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है, तो वे आकर अपनी मन्नत वाला ताला खोल देते हैं. सावन के महीने में यहां शिव भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है.
भक्तों की मान्यता
जो भक्त इस अनोखे अंदाज में अपनी अर्जी लगाने आते हैं, उनमें महिला भक्तों की तादाद सबसे ज्यादा है. ऐसी ही शिवभक्त संगीता का कहना है कि भगवान शिव सबसे आसानी से प्रसन्न होने वाले देवता हैं. मन से प्रार्थना करने पर वे तुरंत खुश हो जाते हैं. इस मंदिर में मन्नत मांगने के लिए अपने मुताबिक एक ताला मंदिर की दीवार पर बनी फैंसिंग में लगाना पड़ता है. उनका कहना है कि उनकी जान- पहचान के कई लोगों का इससे फायदा हुआ है.
एक लाख से अधिक ताले
इस तरीके पर भक्तों के भरोसे का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस मंदिर में करीब एक लाख ताले लटकते हुए दिखाई देतें हैं. इसके अलावा रोजाना सैकड़ों भक्त ताले खोलते हुए नजर आते हैं. इससे पता चलता है कि लोगों की कामनाएं पूरी हो रही हैं.
मंदिर के पुजारी महंत शिवम मिश्रा बताते हैं कि मंदिर की एक और खास बात है यहां कोई जल निकासी की जगह नहीं है फिर शिवलिंग पर चढ़ाया जाने वाला जल कहां जाता है ये भी रहस्य है. मंदिर परिसर में फारसी में लिखा एक शिलापट भी लगा है जिसका मकसद आज तक साफ नहीं हो पाया.