पहले दाम तब होगा काम… सरकारी दफ्तरों में है रेट लिस्ट सिस्टम; 5 महीने में रिश्वत लेते पकड़े गए 5 अफसर

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में सरकारी दफ्तरों में 'रेट लिस्ट' सिस्टम लागू है. एंटी करप्शन विभाग की टीम ने जिले में खुलेआम भ्रष्टाचार के खेल का खुलासा किया है. पांच महीने में ही छह अधिकारियों की गिरफ्तारी से यह साफ हो गया है कि जिले में काम चाहें जो हो, बिना दाम दिए उसकी फाइल आगे बढ़ेगी ही नहीं.

सहारनपुर में पीडब्ल्यूडी के अवर अभियंता अरेस्ट

वैसे तो उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति लागू है, लेकिन उत्तर प्रदेश के ही सहारनपुर में रेट लिस्ट सिस्टम है. यहां किसी भी सरकारी दफ्तर में पहले दाम देना होता है, इसके बाद ही काम की बात होती है. दाम ना देने पर पहले फाइल रोक ली जाती है. वहीं जब आवेदक दौड़-दौड़कर थक जाता है तो फिर रकम तय होती है. लगभग सभी विभागों में एक ही पैटर्न पर काम चल रहा है. हालांकि इस पैटर्न को ट्रैस करते हुए एंटी करप्शन की टीम ने बीते पांच महीने में ही छह अधिकारियों-कर्मचारियों को रंगे हाथ दबोच लिया है.

एंटी करप्शन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले के सरकारी दफ्तरों में बैठे अधिकारी और कर्मचारी इस कदर बेलगाम हो गए हैं कि भ्रष्टाचार भी खुलेआम करने लगे हैं. इन अधिकारियों कर्मचारियों ने हर काम के लिए रेट-लिस् बना रखी है. चाहें बिल पास कराना हो, या नक्शा मंज़ूर कराना हो, खतौनी में नाम चढ़ाना हो या कुटुंब रजिस्टर अपडेट करना हो, यहां कोई भी काम बिना चढ़ावे के होना तो दूर, फाइल भी नहीं सरकती.

रंगे हाथ पकड़े गए अवर अभियंता

एंटी करप्शन की टीम को हाल ही में सूचना मिली थी कि लोक निर्माण विभाग (PWD) के अवर अभियंता नीरज कुमार ने एक ठेकेदार के बिल की फाइल रोक रखी है. वह 50 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं. इस सूचना पर एंटी-करप्शन टीम ने जाल बिछाया और मंगलवार को अवर अभियंता को ₹50,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया. बता चला कि इस डील का रेट तो 75 हजार रुपये का है, लेकिन बड़ी मुश्किल से इंजीनियर 50 हजार रुपये लेने को तैयार हुए थे.

एसडीए में भी चल रहा यही खेल

केवल पीडल्यूडी ही नहीं, सहारनपुर विकास प्राधिकरण (SDA) में भी यही खेल चल रहा है. अभी हाल ही में एंटी करप्शन की टीम ने दो अधिकारियों अवर अभियंता रविंद्र श्रीवास्तव और मेट वैभव सिंह को ₹50,000 की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था. यह रिश्वत नक्शा पास कराने के नाम पर ली जा रही थी. टीम की जांच में पता चला कि यहां भी रेट 75 हजार का ही है, लेकिन काफी मोलभाव के बाद सौदा 50 हजार रुपये में पटा था.

पहले भी हुए हैं खुलासे

ये दो मामले तो बिलकुल ताजा ताजा हैं. अभी कुछ समय पहले ही आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर शैलेन्द्र कुमार को ₹25,000 की रिश्वत लेते पकड़ा गया था. वहीं स्वास्थ्य विभाग के लिपिक राकेश कुमार भी फाइल मंज़ूर कराने के नाम पर ₹10,000 लेते पकड़े गए थे. कुछ समय पहले ही DIOS कार्यालय के स्टेनो अजय कुमार को एंटी करप्शन की टीम ने ₹5,000 की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था. इसी प्रकार राजस्व विभाग के एक लेखपाल को खतौनी में नाम दर्ज कराने के बदले ₹5,000 लेते पकड़ा जा चुका है.