संभल में सैकड़ों साल पुराना कुआं अतिक्रमण मुक्त, SDM बोले- कभी गांव के लिए था जीवन रेखा
संभल में सैकड़ों साल पुराने एक कुएं को अतिक्रमण से आजाद कराया गया. ग्रामीणों ने इसे कूड़े से पाट दिया था. प्रशासन ने बुलडोजर से हुए अतिक्रमण को हटाया है. इससे ऐतिहासिक कुएं को मिली नई पहचान मिली है. प्रशासन की इस पहल को ग्रामीणों ने भी सराहा है.
संभल के सदीरनपुर में सैकड़ों साल पुराने कुएं पर हुए अतिक्रमण को प्रशासन ने हटाया है. ग्रामीणों ने इसे कूड़े से पाट दिया था. तहसील प्रशासन ने बुलडोजर से अवैध कब्ज़े हटाकर कुएं को पुनर्जीवित कर दिया है. यह प्रयास तीर्थस्थलों, कुओं और कूपों को पुनर्जीवित करने के लिए किया जा रहा है. ताकि सांस्कृतिक धरोहर को सहेजा जा सके.
सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (SDM) विकास चंद्र संभल ने बताया कि यह अभियान अन्य ऐतिहासिक स्थलों को बचाने के लिए भी है. यह कुआं अब जनता के लिए पानी का स्रोत होगा और स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर को भी बचाएगा. प्रशासन की इस कार्रवाई को ग्रामीणों ने भी सराहा है. उनका कहना है कि इससे गांव का पुराना गौरव लौटेगा.
प्राचीन कुआं अतिक्रमण से कराया गया आज़ाद
इससे पहले संभल के सरायतरीन मोहल्ले में जिले का सबसे बड़ा कुआं मिला था. कहा जाता है कि इस कुआं के पास टोंक के राजा का दरबार लगता था. 22 जनवरी को ASI की टीम ने इसका निरीक्षण किया था. इसके बाद सभी तीर्थ के जीर्णोद्धार के लिए संभल कल्कि देव तीर्थ समिति का गठन हुआ था.
इसी क्रम में गुरुवार को सदीरनपुर में प्राचीन कुआं अतिक्रमण से आज़ाद कराया गया. प्रशासन ने बुलडोजर से कुएं के आसपास अवैध कब्जे हटाकर इसे फिर से जनता के उपयोग के लिए खोला है. ग्रामीणों ने कुएं को कूड़ा डालकर पाट दिया था, जिससे इसका अस्तित्व मिट गया था. अब यह कुआं जनता के हित के लिए उपलब्ध रहेगा.
कभी गांव के लिए जीवनरेखा था ये कुआं
SDM ने बताया कि यह प्रयास तीर्थस्थलों, कुओं और कूपों को पुनर्जीवित करने के लिए किया जा रहा है. यह कुआं कभी गांव के लिए जीवनरेखा था, जहां लोग पानी लेने आते थे. ग्रामीणों ने कहा कि इससे गांव का पुराना गौरव लौटेगा और आने वाली पीढ़ियां इस धरोहर को जान सकेंगी. यह कुआं जल स्रोत के साथ एक ऐतिहासिक चिन्ह के रूप में भी महत्व रखता है.