पांच दिन में माफी मांगें… ABVP को ‘गुंडा’ कहकर घिरे ओपी राजभर, लीगल नोटिस जारी
ABVP को 'गुंडा' कहने पर ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ एक लीगल नोटिस जारी हुआ है. नोटिस में पांच दिनों के भीतर सार्वजनिक माफी मांगने की मांग की गई है. माफी ना मिलने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. इससे पहले कई जिलों में उनका पुतला फूंका गया था. इस दौरान उनके आवास पर भी तोड़फोड़ हुई थी.
यूपी में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बयान पर बवाल मचा है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को गोरखपुर, बलिया, मऊ, लखनऊ समेत कई जिलों में उनका पुतला फूंका. इस बीच देर रात राजभर को ABVP ने लीगल नोटिस भी भेज दिया.
ABVP के छात्रों का आरोप है कि मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने उनपर अभद्र टिप्पणी की. वो छात्रों पर हुए लाठीचार्ज का समर्थन कर रहे हैं. उनके द्वारा ‘गुंडा’ कहना लाखों छात्रों के आत्मसम्मान पर सीधा आघात है, जो किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. लीगल नोटिस में राजभर को पांच दिन के अंदर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की बात कही गई है.
यह छात्र आंदोलनों की परंपरा का अपमान
इसमें कहा गया कि आदर्श तिवारी 6 सालों से ABVP के सक्रिय सदस्य हैं. ABVP जो राष्ट्र की सबसे बड़ी छात्र शक्ति के रूप में दशकों से देशहित, शिक्षा सुधार के लिए कार्यरत है. यूपी के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर द्वारा 3 सितंबर को दिया गया बयान घोर असत्य है. यह सार्वजनिक जीवन की गरिमा के विपरीत भी है.
ABVP कार्यकर्ताओं को ‘गुंडा’ कहना छात्र आंदोलनों की परंपरा का अपमान है. इस प्रकार का वक्तव्य संगठन की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाता है. ABVP ने हर दौर में छात्र हितों की लड़ाई को वैधानिक और लोकतांत्रिक तरीक़े से लड़ा है. ऐसे संगठन को ‘गुंडा’ कहना आपके (राजभर) राजनीतिक पूर्वाग्रह और संगठन के प्रति दुर्भावना का प्रमाण है.
लोकतांत्रिक आवाज़ को दबाने का षड्यंत्र
इसमें कहा गया है कि मंत्री राजभर का बयान ABVP की जनस्वीकार्यता को धूमिल करना है. लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह संगठन केवल छात्र आंदोलन का नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की धारा से जुड़ा एक जनांदोलन है. उनकी टिप्पणी से न केवल कानूनी दृष्टि से मानहानि होती है, बल्कि यह संगठन के लाखों कार्यकर्ता शक्ति को बदनाम करने का भी प्रयास है.
साथ ही कहा गया है कि आपके पद की गरिमा और मंत्री होने की हैसियत से यह अपेक्षा की जाती है कि आप संतुलित और मर्यादित भाषा का प्रयोग करें. लेकिन आपके इस बयान से यह सिद्ध होता है कि आपने जानबूझकर छात्र संगठन को अपमानित करने और सरकार के संरक्षण में लोकतांत्रिक आवाज़ को दबाने का षड्यंत्र कर रहे हैं.
5 दिन में सार्वजनिक मंच से माफी मांगें
नोटिस में कहा गया है कि मंत्री का बयान संविधान की आत्मा और लोकतंत्र के मूल मूल्य के खिलाफ है. मंत्री राजभर को 5 दिन में सार्वजनिक मंच से माफी मांगने और अपने बयान को निराधार बताने को कहा गया है. साथ ही 7 दिन के अंदर लिखित आश्वासन दें कि भविष्य में किसी भी छात्र संगठन के विरुद्ध ऐसी दुर्भावनापूर्ण भाषा का प्रयोग नहीं करेंगे.
इससे पहले कई शहरों में मंत्री राजभर के बयान के एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने जमकर प्रदर्शन किया. जगह-जगह मंत्री का पूतला फूंका गया, तीन सितंबर की रात उनके अवास के बाहर भी कई कार्यकर्ता जमा हो गए थे. इस दौरान उनका पुतला फूंका गया और आवास पर पथराव भी किया गया. राजभर ने सार्वजनिक मंच से कहा था ‘ABVP गुंडागर्दी कर रही है और पुलिस ने वैसा ही जवाब दिया’.
लाठीचार्ज मामले में चौकी इंचार्ज समेत 4 सस्पेंड
बाराबंकी के श्री रामस्वरूप यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन कर रहें छात्रों पर पुलिस की लाठीचार्ज पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी नाराजगी जताई थी. उन्होंने इस मामले में आईजी अयोध्या प्रवीण कुमार को जांच के आदेश दिए थे. 4 सितंबर को आईजी अयोध्या जांच रिपोर्ट सीएम को सौंपी है. इसके आधार पर चौकी इंचार्ज एसआई गजेंद्र विक्रम सिंह, हेड कांस्टेबल पवन यादव, सौरभ सिंह और कांस्टेबल विनोद यादव को सस्पेंड कर दिया गया.
श्री रामस्वरूप यूनिवर्सिटी में 1 सितंबर को पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया था. आंदोलन में एबीवीपी के कार्यकर्ता भी शामिल थे, इस दौरान पुलिस लाठीचार्ज में कई छात्रों के हांथ, पैर टूंट गए, कईं सिर में चोट लगने से गंभीर रूप से घायल हुए थे. छात्रों का आरोप है यूनिवर्सिटी में LLB समेत कई कोर्स की मान्यता 2022 से खत्म थी, लेकिन फिर भी दाखिले ले लिए गए. और पुलिस की मिलीभगत से छात्रों की आवाज दबाई जा रही है.