पेयरिंग से खाली हुए स्कूलों में शिफ्ट होंगें आंगनबाड़ी केंद्र, DM को सर्वे शुरू करने के निर्देश; शिक्षकों का भी विरोध तेज

उत्तर प्रदेश में 10,827 प्राथमिक विद्यालयों का विलय किया गया है. अब इन भवनों में आंगनबाड़ी केंद्रों को शिफ्ट करने की तैयारी शुरू हो गई है. सरकार का दावा है कि इससे बच्चों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. लेकिन विरोध कर रहे शिक्षकों का कहना है यह RTE का उल्लंघन है.

खाली हुए स्कूलों में शिफ्ट होंगे आंगनबाड़ी केंद्र (प्रतीकात्मक तस्वीर) Image Credit:

उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग ने कम नामांकन वाले 10,827 प्राथमिक विद्यालयों का विलय (पेयरिंग) कर दिया है. अब इन विद्यालयों के खाली भवनों को आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए उपयोग में लाया जाएगा. बाल विकास विभाग ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों (DM) को पत्र भेजकर सर्वे शुरू करने के निर्देश दिए हैं. वहीं, इस निर्णय से शिक्षकों और अभिभावकों का पहले से जारी विरोध और तेज हो गया है.

शिक्षकों ने विरोध अभियान के तहत 28 जुलाई को सभी जिलों में जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया गया है. बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव लीना जौहरी ने बताया कि विलय के बाद खाली हुए विद्यालय भवनों को बाल वाटिका के रूप में उपयोग किया जाएगा. इसके लिए जिला स्तर पर मुख्य विकास अधिकारी (CDO) की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की जाएगी.

कमेटी को 15 दिनों में सर्वे पूरा करने के निर्देश

लीना जौहरी ने बताया कि कमेटी में बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA), जिला कार्यक्रम अधिकारी, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) और संबंधित बाल विकास परियोजना अधिकारी शामिल होंगे. इस कमेटी को 15 दिनों के भीतर सर्वे पूरा करने का निर्देश दिया गया है. सर्वे के बाद ग्राम प्रधान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और अभिभावकों के साथ बैठक होगी, जिसमें उपयुक्त भवनों का चयन किया जाएगा.

ऐसे आंगनबाड़ी केंद्रों को किया जाएगा शिफ्ट

बता दें कि खाली हुए स्कूलों में केवल वही आंगनबाड़ी केंद्र शिफ्ट होंगे, जो विद्यालय से अधिकतम 500 मीटर की दूरी पर हैं. साथ ही जिनके भवन बच्चों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त हों. यदि आंगनबाड़ी केंद्र पहले से ही बेहतर सुविधाओं के साथ संचालित हो रहे हैं या विद्यालय भवन की स्थिति ठीक नहीं है, तो उन्हें शिफ्ट नहीं किया जाएगा. इसके अलावा, जिस आंगनबाड़ी केंद्र में सारी सुविधा हैं वह भी शिफ्ट नहीं होंगे.

इससे बच्चों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी

मुख्य सचिव ने समीक्षा बैठक में कहा कि विद्यालयों के विलय का मकसद संसाधनों का बेहतर उपयोग और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का वातावरण प्रदान करना है. खाली भवनों को आंगनबाड़ी केंद्रों के रूप में उपयोग करने से 3-6 साल के उम्र के बच्चों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. सरकार का कहना है कि इससे शिक्षा और बाल विकास योजनाओं का एकीकरण होगा.

शिक्षकों और अभिभावकों का विरोध तेज

यूपी सरकार के इन विद्यालयों के विलय करने के फैसले ने शिक्षकों और अभिभावकों में भारी नाराजगी पैदा कर की है. डीएलएड मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विशु यादव ने बताया कि विलय के विरोध तेज आवाज उठाया जाएगा, जिसमें लाखों लोग हिस्सा लेंगे. उनका कहना है कि यह विलय फ्री और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE) का उल्लंघन है.

वहीं, संयुक्त संघर्ष संचालन समिति (एस-4) ने रविवार को हुई बैठक में इस फैसले की कड़ी निंदा की. समिति के उपाध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि विलय से दलित, पिछड़े और निर्धन वर्ग के बच्चे शिक्षा से वंचित हो सकते हैं. शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और रसोइयों के पद समाप्त होने का खतरा है. हालांकि, विलय और आंगनबाड़ी केंद्रों की शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.