UP में 4 डॉक्टरों को किया गया बर्खास्त, डिप्टी CM ने क्यों लिया ये फैसला?
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग में लापरवाही करने वालों के खिलाफ सख्ती बरती है. इसी कदम में उन्होंने 4 डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया है. साथ तीन और डॉक्टरों पर भी कार्रवाई की जा रही है.

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में अनुशासनहीनता और लापरवाही के खिलाफ डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने कड़ा रुख अपनाया है. उनके निर्देश पर चार डॉक्टरों को बिना सूचना लंबे समय तक अनुपस्थित रहने के कारण बर्खास्त कर दिया गया है. इसके अलावा, तीन अन्य डॉक्टरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की तलवार लटक रही है. यह कार्रवाई स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और डॉक्टरों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
बर्खास्त किए गए चार डॉक्टर
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने चार डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं, इनमें डॉ. राजकुमार, बाल रोग विशेषज्ञ, पीलीभीत जिला चिकित्सालय, डॉ. विनय कुमार सैनी, जलालाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, शाहजहांपुर, डॉ. शशि भूषण डोभाल, अम्बेडकर नगर (स्थानान्तरणधीन उन्नाव), डॉ. अवनीश कुमार सिंह, सहायक आचार्य, हड्डी रोग विभाग, कन्नौज राजकीय मेडिकल कॉलेज शामिल हैं. ये डॉक्टर बिना पहले से दी गई सूचना के लंबे समय से ड्यूटी से अनुपस्थित थे, इस वजह से उनके खिलाफ यह सख्त कार्रवाई की गई.
तीन डॉक्टरों पर लटकी कार्रवाई की तलवार
तीन दूसरे डॉक्टरों पर लापरवाही और अनधिकृत अनुपस्थिति के आरोपों के चलते विभागीय कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है. प्राथमिक जांच में इन्हें दोषी पाया गया है और प्रमुख सचिव को इनके खिलाफ आरोप-पत्र जारी कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं.
इनमें डॉ. राखी सोनी, दंतशल्यक, किशनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मैनपुरी का अवकाश स्वीकार नहीं किया गया था, इससे बावजूद भी नदारद रहीं. डॉ. आनंद सिंह, डिप्टी सीएमओ, प्रयागराज में गंभीर रूप से घायल मरीज के इलाज में लापरवाही हुई.
डॉ. अशोक कुमार, छाता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मथुरा – गंभीर मरीज के उपचार में लापरवाही हुई. इन तीनों के खिलाफ विभागीय जांच तेज कर दी गई है और जल्द ही अंतिम फैसला लिया जाएगा.
कन्नौज राजकीय मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग विभाग के आचार्य और विभागाध्यक्ष डॉ. डीसी श्रीवास्तव पर ओपीडी का समय पर संचालन न करने के गंभीर आरोप लगे हैं. डिप्टी सीएम ने उनसे इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग में लापरवाही और अनुशासनहीनता के खिलाफ पहले भी कई बार सख्त कदम उठाए हैं.
2024 में अनुपस्थित रहे डॉक्टर
जुलाई 2024 में 17 मेडिकल अधिकारियों को बिना सूचना अनुपस्थित रहने और ड्यूटी में लापरवाही के लिए बर्खास्त किया गया. इनमें 10 महिला चिकित्सा अधिकारियों सहित कई डॉक्टर शामिल थे. अगस्त 2024 में 15 डॉक्टरों को अनधिकृत अनुपस्थिति के लिए बर्खास्त करने के निर्देश दिए गए हैं. इनमें गोरखपुर, सीतापुर, मुरादाबाद, उन्नाव, और सहारनपुर जैसे जिलों के डॉक्टर शामिल थे.
सितंबर 2024 में 26 चिकित्सा अधिकारियों को अनधिकृत अनुपस्थिति और लापरवाही के लिए बर्खास्त किया गया. जून 2025 में पांच डॉक्टरों को मरीजों के प्रति असंवेदनशीलता और लापरवाही के लिए बर्खास्त करने के आदेश दिए गए.
जुलाई 2025 में एटा पुलिस भर्ती घोटाले में संलिप्त दो डॉक्टरों को निलंबित किया गया.
जुलाई 2025 में कानपुर नगर के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डॉ. सुबोध प्रकाश यादव को भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के लिए सस्पेंड किया गया. सवास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए डिप्टी सीएम ने मेरठ के किठौर में 50 बेड के संयुक्त चिकित्सालय और आजमगढ़ के लालगंज में 100 बेड के अस्पताल में एक्स-रे मशीन स्थापित करने का फैसला लिया है. इसके लिए दोनों हॉस्पिटल को 27-27 लाख रुपये की धनराशि आवंटित की गई है. यह कदम मरीजों को बेहतर निदान सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में अहम है.
डिप्टी सीएम का सख्त संदेश
डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने स्पष्ट किया कि स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी तरह की लापरवाही या अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार जनता को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. जो डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी से भागेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी.
सीएम बृजेश पाठक की यह कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग में अनुशासन और जवाबदेही को बढ़ावा देने की दिशा में एक मजबूत कदम है. चार डॉक्टरों की बर्खास्तगी और तीन अन्य पर चल रही जांच से यह स्पष्ट है कि सरकार लापरवाही के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है.



