पूरे UP यूपी में फैला ड्रग्स सिंडिकेट, अस्पतालों में खपायी जा रही नकली दवाएं; STF की जांच में बड़ा खुलासा

उत्तर प्रदेश में एसटीएफ और औषधि विभाग की संयुक्त जांच में नकली दवाओं के बड़े सिंडिकेट का खुलासा हुआ है. इस सिंडिकेट में अस्पतालों में संचालित मेडिकल स्टोर भी शामिल हैं. जांच दल ने बीते 10 दिन में 71 करोड़ रुपये की नकली दवाएं जब्त की हैं. अब राज्य सरकार ने सभी 75 जिलों में जांच के आदेश दिए हैं.

सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश के ज्यादातर अस्पताल में भर्ती मरीजों को सही दवा तक नसीब नहीं हो रही. यहां तक प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भी नकली दवाएं दी जा रही है. इसके लिए भी उन्हें मोटी कीमत चुकानी पड़ रही है. यह खुलासा यूपी एसटीएफ और राज्य औषधि विभाग की संयुक्त जांच में हुआ है. इसमें पाया गया है कि इस समय यूपी में नकली दवाओं का सिंडिकेट काम कर रहा है. इस सिंडिकेट में विभिन्न अस्पतालों बने मेडिकल स्टोर भी शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश के करीब दर्जन भर जिलों से इस तरह के इनपुट आने के बाद यूपी एसटीएफ और राज्य औषधि विभाग की टीम ने जांच का दायरा फैला दिया है. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि विभाग की अपर आयुक्त रेखा एस चौहान ने इस सिंडिकेट की जड़ों को खंगालने के लिए सभी 75 जिलों में जांच के आदेश दिए हैं. इसमें हरेक मेडिकल स्टोर और वहां उपलब्ध दवाओं के सैंपल लेने को कहा है. एसटीएफ की जांच में पाया गया है कि उत्तर प्रदेश में हो रहे नकली दवाओं का 50 फीसदी हिस्सा विभिन्न अस्पतालों में खुले मेडिकल स्टोरों में खपाया जा रहा है.

10 दिन में सीज हुई 71 करोड़ की दवाएं

बता दें कि पिछले दिनों यूपी एसटीएफ को इसी संबंध में कुछ इनपुट मिले थे. इसके बाद एसटीएफ ने औषधि विभाग के साथ संयुक्त टीम बनाई और बीते 10 दिनों में अलग अलग स्थानों पर छापेमारी कर करीब 71 करोड़ की दवाएं सीज की हैं. इस दौरान टीम ने संदिग्ध परिस्थिति को देखते हुए 24 सैंपल भी भरे हैं. इस जांच में टीम को 15 डमी फर्म मिलीं हैं. जांच में पता चला है कि नामी कंपनी की डमी फर्म के नाम से ड्रग्स माफिया ने एक ही बैच की 1000 गुना तक नकली दवाएं बनाई और उन्हें खपा भी दीं.

प्रदेश स्तर पर शुरू हुई जांच

जांच में पता चला है कि इन नकली दवाओं का 50 फीसदी हिस्सा विभिन्न अस्पतालों में संचालित मेडिकल स्टोर के जरिए खपायी गई हैं. जांच टीम ने संबंधित रिपोर्ट अब शासन को भी भेजी है. औषधि विभाग की एडिशनल कमिश्नर रेखा एस चौहान के मुताबिक इस इस सिंडिकेट में कई नामी अस्पतालों के मेडिकल स्टोर भी शामिल हैं. अब इस मामले में प्रदेश स्तर पर जांच होगी और यह जांच शासन स्तर पर गठित विशेष टीम करेगी. इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में औषधि निरीक्षकों को इन मेडिकल स्टोर की लिस्ट तैयार करने को कहा गया है.

मरीजों से हो रही खुली लूट

अस्पतालों में भर्ती मरीजों से दवाओं के नाम पर खुली लूट हो रही है. आगरा जिला केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष आशु शर्मा के मुताबिक कई जगह दवाओं की मनमानी कीमत वसूलने की बातें सामने आई हैं. वह खुद इन मामलों की जांच कराने की मांग कर रहे हैं. आगरा फार्मा एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पुनीत कालरा के मुताबिक अस्पतालों के मेडिकल स्टोर की तो नियमित जांच होनी चाहिए. मुश्किल यह है कि अस्पतालों में जो दवाएं लिखी जाती हैं, वह इन्हीं मेडिकल स्टोर पर मिलती है. सारी गड़बड़ी की वजह ही यही है.