रिवर्स बिडिंग से हॉस्पिटल्स को मिलेंगे एक्सपर्ट डॉक्टर, यूपी में मुरादाबाद बना पहला मॉडल
उत्तर प्रदेश के सरकारी हॉस्पिटल्स में एक्सपर्ट डॉक्टरों की भारी कमी को दूर करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) ने रिवर्स बिडिंग प्रणाली शुरू की है. इसके जरिए सरकारी हॉस्पिरटल्स में डॉक्टरों की नियुक्ति करके उनकी कमी को दूर किया जा रहा है, इसके जरिए डॉक्टर ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं. जानते हैं क्या रिवर्स बिडिंग प्रणाली.
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत रिवर्स बिडिंग भर्ती शुरू की गई है. इसे रिवर्स बिडिंग प्रक्रिया कहा जा रहा है. इस प्रक्रिया के जरिए हॉस्पिटल्स में जितने डॉक्टरों की जरूरत होगी, उनकी नियुक्ति की जा सकेगी.
रिवर्स बिडिंग एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें डॉक्टर ऑनलाइन एप्लीकेशन के जरिए अप्लाई कर सकते हैं. इसमें अपनी सर्विस के लिए न्यूनतम सैलरी की बोली लगाते हैं. इस प्रक्रिया में सबसे कम या उपयुक्त बोली लगाने वाले डॉक्टर को नियुक्त किया जाता है. यह आमतौर पर पहले से चली आ रही भर्ती प्रक्रियाओं से अलग है, जहां सैलरी पहले से तय होती है. रिवर्स बिडिंग में डॉक्टर अपनी विशेषज्ञता और अनुभव के आधार पर सैलरी की मांग रखते हैं.
जरूरत और बजट के अनुसार डॉक्टरों की नियुक्ति
सरकार उस बोली को स्वीकार करती है जो बजट और जरूरतों के मुताबिक हो. हाल ही में मुरादाबाद में की गई है. डॉक्टर ऑनलाइन टेंडर के जरिए अपनी फीस का प्रस्ताव रखते हैं और सबसे कम बोली लगाने वाले को प्राथमिकता दी जाती है. इस प्रणाली से न केवल समय की बचत होती है बल्कि, यह सुनिश्चित होता है कि अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी जल्द से जल्द पूरी हो.
उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी लंबे समय से एक गंभीर समस्या रही है. प्रांतीय चिकित्सा सेवा (PMS) संवर्ग में 17,000 पदों में से लगभग 11,500 पदों पर ही डॉक्टर मौजूद हैं. पिछले साल 3,200 विशेषज्ञ डॉक्टरों के पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था, लेकिन केवल 400 डॉक्टर ही मिल सके. इस कमी के कारण मरीजों को बेहतर इलाज के लिए एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल में रेफर करना पड़ता था. इस वजह से मरीजों और उनके घरवालों को बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता था.
रिवर्स बिडिंग प्रक्रिया के जरिए समस्या को दूर किया जा सकता है. यह प्रणाली न केवल डॉक्टरों को आकर्षित करती है, बल्कि इसके जरिए बजट में उनकी सुविधाएं मिल जा रही हैं. ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया के कारण भर्ती में किसी भी तरह की गड़बड़ी की संभावना में भी कमी देखी जा सकती है.
तेजी से हो रही है नियुक्ति, पारंपरिक भर्ती प्रक्रियाओं की तुलना में यह प्रणाली तेज और प्रभावी है. अलग-अलग विशेषज्ञताओं वाले डॉक्टरों की नियुक्ति से हॉस्पिटल में मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा. डॉक्टर अपनी योग्यता और अनुभव के आधार पर बोली लगा सकते हैं, जिससे उनकी सैलरी की संतुष्टि भी बनी रहेगी.
हालांकि प्रक्रिया प्रभावी है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि रिवर्स बिडिंग से सैलरी में असमानता हो सकती है, जिससे डॉक्टरों के बीच असंतोष पैदा हो सकता है. इसके अलावा, ज्यादा बोली लगाने वाले डॉक्टरों की नियुक्ति बजट पर दबाव डाल सकती है. फिर भी, अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया हॉस्पिटल्स की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने में मददगार साबित हो रही है.
मुरादाबाद में प्रभावी हुई ये प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में इस प्रक्रिया को लागू करने का पहला सफल प्रयोग देखने को मिला. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मुरादाबाद में आठ विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति रिवर्स बिडिंग के जरिए की गई. इनमें जनरल सर्जन, ऑर्थोपेडिक सर्जन, एनेस्थेटिस्ट, और फिजिशियन जैसे पद शामिल हैं. सबसे ज्यादा बोली, एनेस्थेटिस्ट डॉ. रजी शाहिद की बोली 3.45 लाख रुपये प्रति माह की थी और उन्हें 100 बेड वाले MCH विंग में तैनात किया गया. डॉ. प्रांजल मिश्रा को 3.40 लाख रुपये प्रति माह पर कंसल्टेंट मेडिसिन के पद पर, डॉ. ओवैस महबूब को 2.10 लाख रुपये प्रति माह पर ट्रॉमा सेंटर में ऑर्थोपेडिक सर्जन के रूप में, और जनरल सर्जन डॉ. अनिल कुमार गुप्ता को 70 हजार रुपये हर महीने की बोली पर नियुक्त किया गया.
मुरादाबाद के बाद अयोध्या में भी इस प्रक्रिया का उपयोग किया गया. यहां नौ विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति 22.64 लाख रुपये की कुल बोली पर की गई. सबसे ऊंची बोली 5 लाख रुपये प्रति माह एक एनेस्थेटिस्ट डॉक्टर के लिए थी, जबकि सबसे कम बोली 70 हजार रुपये हर महीने एक गायनिकोलॉजिस्ट के लिए थी.