अब झांसी की मूंगफली खाएंगे सऊदी के शेख… गल्फ कंट्रीज में बढ़ेगा एक्सपोर्ट
अब खाड़ी देशों के बाजारों में यूपी की मूंगफली काबिज होने वाली है. झांसी में पैदा होने वाली मूंगफली के लिए अब इंटरनेशनल मार्केट के दरवाजे खुलने जा रहे हैं और ये सब हुआ है विश्व बैंक की सहायता से. इसके चलते यहां के किसानों को भी बड़े पैमाने पर फायदा होने वाला है.

झांसी की मूंगफली अब घरेलू मार्केट के अलावा इंटरनेशनल मार्केट में काबिज होने वाली है. बुंदेलखंड की मिट्टी में उपजी यह विशेष स्वाद वाली मूंगफली अब सऊदी समेत कई खाड़ी देशों के बाजार में दिखाई देने वाली है. ये सब संभव हुआ है विश्व बैंक की सहायता से चल रही UP एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट योजना से. इसके तहत झांसी को 59 हेक्टेयर एरिया में मूंगफली क्लस्टर स्थापित करने की मंजूरी मिली है. जिससे यहां और बड़े पैमाने पर पैदावार होने होने वाली है.
ऐसे होगा मैनेजमेंट
यह निर्यात आधारित क्लस्टर झांसी के तोड़ी फतेहपुर क्षेत्र में एफपीओ द्वारा विकसित किया जाएगा. इस परियोजना की निगरानी झांसी के जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित एक समिति करेगी, जिसमें 3 सदस्य शामिल होंगे. ये समिति उत्पादन से लेकर निर्यात तक की प्रक्रियाओं की पारदर्शिता तय करेगी.
झांसी की मूंगफली इसलिए भी खास मानी जाती है क्योंकि ये दूसरी जगहों पर पैदा होने वाली मूंगफली से स्वाद में एकदम अलग है. इसी के चलते वैश्विक बाजारों में इसकी खासा मांग बनी रहती है. यही कारण है कि खाड़ी देशों के बाजारों में इसकी तेजी से बढ़ रही है मांग के चलते ये कदम उठाया गया है.
मिलेगी सहायता
FPO को इस क्लस्टर को विकसित करने के लिए सरकार से सहायता दी जाएगी. इसके साथ ही किसानों को उनकी उपज के परिवहन पर सब्सिडी भी मिलेगी. जिससे उन्हें उचित मूल्य मिल सकेगा और उनकी आया में बढ़ोत्तरी हो सकेगी. इस पहल के चलते सैकड़ों किसानों के एफपीओ से जुड़ने की उम्मीद है. जिससे गुणवत्तायुक्त मूंगफली का उत्पादन हो सकेगा.
बढ़ेगा रोजगार
जिसे सीधे गल्फ कंट्रीज में निर्यात किया जा सकेगा. इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि झांसी और बुंदेलखंड की पहचान को भी वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाई मिलेगी. जानकारों का मानना है कि इस प्रयास के चलते एक्सपोर्ट बढ़ने के साथ- साथ लोकल लेवल पर रोजगार की नई संभावनाएं विकसित होंगी. जिससे स्थानीय इकोनॉमी को काफी फायदा मिलने वाला है.
रिपोर्ट- विवेक रजौरिया



