प्रयागराज: कल्पवृक्ष सहित 53 धार्मिक विरासतों को मिलेगा सरकारी संरक्षण, 11 जिलों के पेड़ों की बनेगी वाटिका

उत्तर प्रदेश सरकार अब राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए अहम कदम उठा रही है. इस ओर कदम बढ़ाते हुए यहां के ऐतिहासिक वटों को संरक्षित किया जाएगा. इसमें 700 साल पुराने वृक्षों को भी संरक्षित करने के लिए वृक्ष वाटिका तैयार की जा रही है.

अक्षय वट (फाइल फोटो) Image Credit:

उत्तर प्रदेश में सरकार की तरफ से यहां के मठ, मंदिरों के साथ-साथ सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले सांस्कृतिक स्मारकों को संरक्षित करने की ओर कई तहर के प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे में अब यहां पर पौराणिक वृक्षों को संरक्षण प्रदान किया जाएगा. अब प्रयागराज के सांस्कृतिक धरोहर अक्षय वट और कल्पवृक्ष को संरक्षित करने की दिशा में काम किए जाएगा.

राज्य की योगी सरकार विरासत वृक्ष के के दायरे में आने वाले प्रदेश के 948 विरासत वृक्षों का संरक्षण करने पर काम कर रही है. शासन की ओर से जारी विरासत वृक्षों की इस लिस्ट में प्रयागराज जिले के 53 विरासत वृक्षों को भी शामिल किया है. डीएफओ प्रयागराज अरविंद कुमार ने कहा कि इस लिस्ट में सबसे ज्यादा प्रयाग रेंज में 21 विरासत वृक्ष हैं.

सबसे पुराना वृक्ष कहां?

प्रतापपुर रेंज में 14 और कोरांव रेंज ने 7 विरासत वृक्ष हैं. इन 53 विरासत वृक्षों में 42 सार्वजनिक भूमि में , 6 सामुदायिक भूमि में और 4 रक्षा भूमि में हैं. विरासत वृक्षों की इस लिस्ट में सबसे पुराना वृक्ष झूंसी में उल्टा किला के पास स्थित पारिजात या कल्पतरु है जिसकी आयु 700 साल है. इसके बाद चंद्र शेखर आजाद पार्क के अंदर मौजूद कल्पतरु की आयु 400 साल है. यमुना किनारे किले के अंदर स्थित अक्षय वट को भी इस विरासत की सूची में शामिल किया गया है जिसकी आयु 300 साल है.

विरासत वृक्ष वाटिकाओं को किया जा रहा तैयार

प्रयागराज जिले के सोरांव वन प्रभाग के अंतर्गत विरासत वृक्ष वाटिका तैयार की गई है. डीएफओ ने कहा कि पडिला महादेव के पास इसे बनाया गया है. लगभग 0.592 हेक्टेयर में यह वाटिका तैयार हुई है. वाटिका में जिन पांच प्रजातियों के वृक्षों का संरक्षण किया जा रहा है इसमें बरगद, पीपल, पाकड़, गूलर और कुसुम शामिल हैं. वाटिका में इन विरासत वृक्षों के 948 पौधे रोपित किए गए हैं. वाटिका के चारो तरफ फैंसिंग बनाया गया है. रेंजर प्रतापपुर दिव्या मिश्रा को इस वाटिका के संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

जागरुकता के लिए विरासत वृक्ष वाटिका

सरकार विलुप्त हो रही वृक्षों की ऐसी प्रजातियों का संरक्षण कर रही है जिनका अपना पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व हो. जो महत्वपूर्ण घटनाओं, अति विशिष्ट व्यक्तियों के स्मारकों, धार्मिक परम्पराओं व मान्यताओं से जुड़े हों. इसके अलावा जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन में भी इन विरासत वृक्ष वाटिकाओं का योगदान रहेगा. इन्हीं वृक्षों की नई पौध तैयार करने के लिए विरासत वृक्ष वाटिका तैयार हुई है. प्रदेश के जिन 11 जिलों को इसके लिए चुना गया है उसमें प्रयागराज भी शामिल है. इसके अलावा गोरखपुर, अयोध्या, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, बरेली, मथुरा, सीतापुर, चित्रकूट व मिर्जापुर में भी विरासत वृक्ष वाटिका तैयार की जा रही हैं.