कहानी पिशाच मोचन कुंड की, जहां पितरों के तर्पण के लिए लाखों हिन्दू करेंगे ‘त्रिपिंडी श्राद्ध’

हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद श्राद्ध का विशेष महत्व होता है. ऐसा मान्यता है कि इससे पितरों को मुक्ति मिलती है. काशी में एक ऐसी ही परंपरा है- त्रिपिंडी श्राद्ध, जिसे करने के लिए यहां पितृ पक्ष में लाखों हिंदू परिवार आते हैं.

कहानी पिशाच मोचन कुंड की

काशी को मोक्ष की नगरी माना जाता है. मान्यता है कि यहां मरने से व्यक्ति को जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. यहीं वजह है कि कई लोग अपने अंतिम समय में काशी आकर बस जाते हैं और यहीं अंतिम सांस लेते हैं. वाराणसी के चेतगंज थाने के पास एक पिशाच मोचन कुंड स्थित है.

इसके बारे में कहा जाता है कि यहां त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पितरों को प्रेत बाधा से मुक्ति मिल जाती है. इसी के चलते यहां लाखों हिंदू परिवार अपने- अपने पुरखों के तर्पण के लिए श्राद्ध करने के लिए जमा होते हैं.

ये है मान्यता

इस बार पितृपक्ष 8 से 21 सितंबर तक चलने वाला है. इस दौरान 5 लाख से ज़्यादा हिन्दू परिवार काशी के पिशाच मोचन 7 घाटों पर त्रिपिंडी श्राद्ध करेंगे. पांचांग के मुताबिक इस बार पितृपक्ष पूरे 14 दिनों तक चलेगा. मलमास के कारण हर 3 साल में इसके दिन घटते- बढ़ते रहते हैं. कहा जाता हैं प्रयाग- मुंडे, काशी- पिंडे और गया- दंडे.

मान्यताओं के मुताबिक यहां तर्पण का विशेष महत्व है. इन 14 दिनों में पिशाच मोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध के लिए लोगों की भीड़ देखी जाती है. पौराणिक नियमों के मुताबिक यहां श्राद्ध के बाद कर्पिदेश्वर महादेव का जलाभिषेक करके, गया जी जाया जाता है.

महन्त ने बताया महत्व

पिशाच मोचन के महंत प्रदीप पाण्डेय ने TV 9 को बताया कि तीन वर्षों तक पितरों का श्राद्ध न करने की वजह से पितृ दोष लग जाता है. ऐसे में गृह क्लेश और अकाल मृत्यु जैसी तमाम बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए लोग ये श्राद्ध करते हैं. इसके साथ ही अकाल मौत मरने वाले पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी त्रिपिंडी श्राद्ध कराया जाता है. उनका कहना है कि स्कन्द पुराण में इसका वर्णन मिलता है.

यहीं के शेर वाला घाट के तीर्थ पुरोहित कृष्णा पाण्डेय ने बताया हैं कि त्रिपिंडी श्राद्ध इन 7 घाटों पर होता है.

  1. बांकड़े घाट.
  2. शेर वाला घाट.
  3. पिशाच मोचन घाट.
  4. दीक्षित घाट.
  5. नया घाट.
  6. मिश्रा घाट.
  7. उपाध्याय घाट.