वाराणसी में फिर गरजा बुलडोजर, कचहरी चौराहे से पुलिस लाइन तक 50 दुकानें जमींदोज

वाराणसी में फिर बुलडोजर चलाया गया है. कचहरी चौराहे से पुलिस लाइन तक 50 दुकानें जमींदोज कर दी गई है. पीड़ितों का कहना है कि अब हम सड़क पर आ गए हैं. वहीं, प्रशासन का दावा है कि सभी को मुआवजा मिला है. नोटिस भी पहले ही दिया जा चुका था.

कचहरी चौराहे से पुलिस लाइन तक 50 दुकानें जमींदोज

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रविवार को फिर एक बार बुलडोजर एक्शन देखने को मिला. कचहरी चौराहे से पुलिस लाइन तक जिला प्रशासन द्वारा ध्वस्तीकरण अभियान चलाया गया. इस दौरान चार सौ मीटर के दायरे में आए पचास से ज्यादा मकान और दुकानें गिरा दी गईं. कार्रवाई के दौरान पुलिसकर्मी ड्रोन के ज़रिए भी निगरानी कर रहे हैं.

प्रशासन के  बुलडोजर एक्शन से इलाके में हड़कंप मचा है. प्रभावित लोग प्रशासन पर बिना उचित मुआवजा दिए, अचानक बुलडोज़र चलाने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि अब हम सड़क पर आ गए हैं. वहीं, प्रशासन का दावा है कि सभी को मुआवजा दिया गया है. ध्वस्तीकरण अभियान को लेकर पहले से ही नोटिस दिया जा चुका था.

कचहरी से संदहा चौराहे तक बनना है फोर लेन

दरअसल, कचहरी चौराहे से संदहा चौराहे के बीच करीब 14 किलोमीटर तक फोर लेन बनना है. उसी क्रम में ये चार सौ मीटर के दायरे में करीब पचास दुकान और मकान आ रहे थे जिनको बुलडोजर से हटाया गया है. वाराणसी के एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने बताया कि ये कार्रवाई सबकी सहमति से हो रही है.

उन्होंने कहा कि सबको मुआवजा दिया जा चुका है. और हफ़्ते भर पहले ही सबको दुकान और मकान खाली करने का नोटिस भी दिया गया था. किसी को इस कार्रवाई से कोई शिकायत नहीं है. ये कार्रवाई सबकी सहमति से हो रही है. इस दौरान सैकड़ों पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे और ड्रोन के ज़रिए भी निगरानी रखी जा रही थी.

अब परिवार सहित भीख मांगने की नौबत!

प्रभावित लोग मुआवजे से इंकार करते हुए सड़क पर आने और भीख मांगने की नौबत बता रहे हैं. उनका आरोप है कि बिना उचित मुआवजा दिए, प्रशासन ने अचानक बुलडोज़र चला दिया है. इससे कई परिवारों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पीड़ित लोगों ने कहा कि हम सड़क पर आ गए अब परिवार सहित भीख मांगने की नौबत है.

स्थानीय दुकानदार ने बताया कि सोमवार को पीडब्लूडी के अधिकारी कागज़ के साथ आने को बोले थे. लेकिन रविवार को ही प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया. इश्तियाक नाम एक दुकानदार ने कहा कि प्रशासन ने सामान निकालने तक का वक़्त नहीं दिया. सिर्फ निर्माण का पैसा मिला है. जमीन का कोई मुआवजा नहीं मिला है.

पक्की बाज़ार में अशरफ अहमद की किराने की दुकान थी. अशरफ ने कहा कि प्रशासन ने सिर्फ 9 लाख रुपया दिए हैं. बैंक का दस लाख का लोन है बताइए हम कहां जाएं? तीन परिवार इसी किराने की दुकान से चलता था. कई पुश्त से हम यहीं रहते आए हैं. हम 9 लाख रुपए लेकर तीन परिवार के साथ कहां जाएं?