शादी की 25वीं सालगिरह पर काशी आया मैक्सिकन दंपत्ति, गंगा घाट पर लिए 7 फेरे, कहा- हो गया आत्माओं का मिलन

मैक्सिको से आए एक जोड़े ने अपनी शादी की 25वीं सालगिरह पर वाराणसी में भारतीय वैदिक रीति-रिवाजों से फिर से विवाह रचाया. दूल्हे सिमोन और दुल्हन लुसिंदा ने गंगा तट पर अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए और जन्मों-जन्मों तक साथ रहने की कसमें खाईं. उन्होंने भारतीय संस्कृति के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा व्यक्त की, जिसे वे आत्माओं का मिलन मानते हैं.

सांकेतिक तस्वीर

भारतीय संस्कृति और परंपरा के मुरीद विदेशी नागरिक हमेशा से रहे हैं. अक्सर विदेशों से प्रेमी जोड़े शादी के लिए भारत आते हैं और वैदिक रीति रिवाज से शादी रचाते हैं. लेकिन, मैक्सिको से अपनी शादी की 25वीं सालगिरह पर भारत भ्रमण करने आए एक दंपत्ति को भारतीय संस्कृति इतनी भा गई कि इन्होंने भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी में गंगा तट पर फिर से विवाह ही रचा लिया है. विधिवत वैदिक मंत्राचार के बीच इस दंपत्ति ने सात फेरे लिए, सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाई और कहा कि अब हमारी आत्माओं का भी मिलन हो गया.

उन्हें काशी भ्रमण कराने वाले टूरिस्ट गाइड रविंद्र साहू के मुताबिक दूल्हा बने सिमोन एड्रियन सैंडोवाल पिनेडा और उनकी पत्नी लुसिंदा मारिया टोरेस मेरिना मेक्सिको के रहने वाले हैं. वैसे तो 25 साल पहले इनकी शादी मैक्सिकन रीति रिवाज से हुई थी, लेकिन इनका कहना है कि उन्हें वो फिलिंग नहीं आती, जो भारतीय दंपत्ति में देखी जाती है. इस लिए इन लोगों ने फैसला किया था ये अपने शादी की सिल्वर जुबली भारत में मनाएंगे. इसी सोच के तहत ये लोग भारत आए और यहां काशी आने के बाद इन्होंने भारतीय रीति रिवाज से वैवाहिक बंधन में बंधने का फैसला किया.

सभी रस्मों का पालन किया

टूरिस्ट गाइड के मुताबिक काशी आने के बाद इस दंपत्ति ने अलग अलग विद्वानों से मुलाकात की और भारतीय संस्कृति में विवाह के महत्व और विवाह की प्रक्रिया आदि के बारे में विधिवत जानकारी ली. इसके बाद ऐतिहासिक अहिल्याबाई घाट पर दूल्हे सिमोन ने विवाह की पारंपरिक रस्मों का पालन करते हुए अपनी दुल्हन लुसिंदा की मांग भरी. इसके बाद वैदिक मंत्रोचार के बीच मंगलसूत्र पहनाया. फिर अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हुए विवाह रचाया. इस दौरान दोनों ने सात जन्मों तक एक दूसरे का साथ निभाने की कसमें भी खाई और अपना बाकी जीवन हिंदू रीति-रिवाज से ही जीने का प्रण लिया.

सात समंंदर पार से खींच लाई भारतीय संस्कृति

टूरिस्ट गाइड के साथ बातचीत में सिमोन और लुसिंदा ने बताया कि वह अक्सर भारतीय संस्कृति के बारे में पढ़ते और सुनते रहे हैं. वह सात समंदर पार रहने के बावजूद भी खुद को हमेशा से भारतीय संस्कृति के करीब पाते रहे हैं. इसी दौरान उन्होंने कई वैदिक ग्रंथों को पढ़ने और समझने की भी कोशिश की. इसी दौरान उन्हें समझ में आया कि भारतीय रीति रिवाज से शादी खासतौर पर हिंदू विवाह संस्कार केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि आत्माओं का मिलन कराने वाला संस्कार है. टूरिस्ट गाइड के मुताबिक यहां आने के बाद इन लोगों ने दोबारा से शादी की इच्छा जताई तो उन्होंने इनके लिए जरूरी इंतजाम कराया है.