केवल आधार से नहीं चलेगा काम, वोटर बनने के लिए देने होंगे ये दस्तावेज; चुनाव आयोग का क्लीयर संदेश
चुनाव आयोग ने नए वोटर बनाने के संबंध में कुछ कड़े दिशा निर्देश जारी किए हैं. इसमें आयोग ने साफ कर दिया है कि अब आवेदक की पहचान प्रमाणित करने के लिए केवल आधार कार्ड से काम नहीं चलेगा. मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने और अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए, आधार के साथ नागरिकता, पहचान और जन्मतिथि साबित करने वाले अतिरिक्त दस्तावेज अनिवार्य कर दिए गए हैं. इस संबंध में आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं.
आगामी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उत्तर प्रदेश में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम तेज कर दिया है. इसी के साथ नए वोटर बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है. इस संबंध में आयोग ने सभी जिलों के डीएम को दिशा निर्देश दिए हैं. आयोग ने अपने निर्देश में साफ तौर पर कहा है कि नए वोटर बनाने के लिए सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट के रूप में केवल आधार पर्याप्त नहीं है. आधार के साथ चुनाव आयोग द्वारा पहचान और नागरिकता के साथ ही जन्म प्रमाण तय करने के लिए निर्धारित कुछ जरूरी दस्तावेज भी दाखिल करने होंगे.
चुनाव आयोग ने यह निर्देश मतदाता सूची के शुद्धीकरण के लिए किया है. आयोग ने साफ कहा है कि ‘देश में ऐसा कोई नहीं चाहता कि अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों को मतदाता सूची में जगह मिले’. मतदाता सूची के पुनरीक्षण का उद्देश्य भी यही है. ऐसे में नया वोट बनाते समय ही जरूरी एहतियात बरतने की जरूरत है. इस संबंध में चुनाव आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों (DM) को मोबाइल पर स्पेशल मैसेज भेजा है. इसमें साफ कर दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत आधार अकेला मतदाता बनने की योग्यता नहीं देता.
क्या हैं चुनाव आयोग के निर्देश?
यह मैसेज दो हिस्सों में है.पहला हिस्सा मुख्य चुनाव आयुक्त की वीडियो रिकॉर्डिंग के रूप में है. वहीं दूसरे हिस्से में उनकी ओर से लिखित संदेश है. वीडियो में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा है कि आधार एक्ट की धारा-9 स्पष्ट करती है कि आधार न तो नागरिकता (सिटीजनशिप) का प्रमाण है और न ही निवास (डोमिसाइल) का. इसी प्रकार जन्मतिथि को लेकर भी कोर्ट ने कई बार स्थिति स्पष्ट की है. इसमें कहा है कि आधार को इसका सबूत नहीं माना जा सकता. यही संदेश नया आधार डाउनलोड करते समय UIDAI के नोटिफिकेशन में भी आता है.
फिर क्या है समाधान?
चुनाव आयोग ने अपने लिखित मैसेज में साफ कहा है कि फॉर्म में आधार लिया जा रहा है और इसे 12वें वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जा रहा है. लेकिन संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार सिर्फ आधार से मतदान की योग्यता नहीं मिलती. यह निर्देश 9 सितंबर 2025 के आयोग के पत्र और संलग्नक पर आधारित है. ऐसे में नया वोट बनवाने के लिए आधार के अलावा केंद्र/राज्य सरकार या PSU के कर्मचारी/पेंशनभोगी का आईडी या पेंशन ऑर्डर के प्रति लगाई जा सकती है. इसी प्रकार 1 जुलाई 1987 से पहले जारी सरकारी/बैंक/डाकघर/एलआईसी का आईडी को भी वैध माना गया है. आयोग के मुताबिक
जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट, मैट्रिक सर्टिफिकेट, स्थाई निवास प्रमाणपत्र, वन अधिकार प्रमाणपत्र तथा OBC/SC/ST/जाति प्रमाणपत्र, राष्ट्रीय नागरिकता प्रमाण पत्र भी लगाया जा सकता है.