बिहार का फॉर्मूला अब UP में; मंत्री, सांसद, विधायक संगठन और अधिकारियों को करनी होगी हर महीने बैठक
बीजेपी ने सभी जिला प्रभारी मंत्रियों को अपने-अपने जिले में हर महीने सांसद, विधायक, एमएलसी, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष, जिला/महानगर अध्यक्ष के साथ-साथ डीएम, एसएसपी/पुलिस कमिश्नर के साथ बैठक करने का निर्देश दिया है ताकि सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल बनाया जा सके
यूपी में सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल रहे हैं इसको लेकर बीजेपी ने बड़े कदम उठाए हैं. अब सभी जिले के प्रभारी मंत्री को हर महीने “जिला प्रशासनिक समन्वय समिति” की बैठक करनी होगी. इस मीटिंग को प्रभारी मंत्री दरकिनरार नहीं कर सकते हैं. बीजेपी की तरफ से इसे अनिवार्य कर दिया गया है. इस मीटिंग में सांसद, विधायक, एमएलसी, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष, जिला/महानगर अध्यक्ष के साथ-साथ डीएम, एसएसपी/पुलिस कमिश्नर भी शामिल होंगे.
बैठक के पहले प्रभारी मंत्री को संगठन की कोर कमिटी के साथ अलग से बैठना होगा. कोर कमिटी में सभी महत्वपूर्ण कार्यकर्ता, जन प्रतिनिधि और सहयोगी दलों के नेता मौजूद रहेंगे. इसके अलावा RSS के दो प्रमुख प्रचारकों और समाजिक क्षेत्र के दो प्रमुख प्रचारक और उसी क्षेत्र से दो वरिष्ठ सदस्यों से भी मंत्री को अलग से मिलकर फीडबैक लेना जरूरी होगा. ये मीटिंग प्रशासनिक बैठक स्थल से दूर होगा ताकि मुद्दों पर खुलकर बात हो सके.
बैठक का रहेगा ये उद्देश्य
इस बैठक में जमीनी स्तर की समस्याओं का तुरंत समाधान करना. विकास कार्यों की समीक्षा करते हुए उसके गति को तेज करने पर काम करना. सहयोगी दलों को पूरा सम्मान देना और संगठन की नाराजगी को समय रहते दूर करना मुख्य उद्देश्य होगा.
मंत्रियों को दिए गए ये निर्देश
जानकारी के मुताबिक सीएम ऑफिस और प्रदेश भाजपा मुख्यालय से सभी मंत्रियों को हफ्ते में तीन दिन विभागीय काम, बाकी दिन दौरा और संगठन का और राजनैतिक काम करने के साफ निर्देश दे दिए गए हैं. अब कोई भी मंत्री यह नहीं कह सकेगा कि उसे संगठन की जानकारी ही नहीं थी.
क्या रहेगा बैठक का फॉर्मूला
- पहले कोर कमिटी + विचार परिवार से संवाद
- कोर कमिटी से निकले 9 प्रमुख मुद्दे प्रशासनिक समिति में रखे जाएंगे
- मेरिट के आधार पर एजेंडा तय होगा
- विकास परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा अनिवार्य
- बैठक के मिनट्स तैयार कर CMO को भेजे जाएंगे
SIR पर भी खास नजर
चुनाव आयोग का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) चल रहा है. मंत्रियों को निर्देश हैं कि अपने प्रभार वाले जिलों में BLA और BLO के बीच पूरा तालमेल रखें. कोई गंभीर शिकायत हो तो मुख्य निर्वाचन अधिकारी को तुरंत बताएं, लेकिन सार्वजनिक बयानबाजी से बचें. राजनीतिक हलकों में इसे 2027 की तैयारी का पहला ठोस कदम माना जा रहा है. एक वरिष्ठ मंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “अब संगठन और सरकार के बीच कोई दीवार नहीं रहेगी. हर महीने सब एक मेज पर बैठेंगे तो जनता का काम भी तेज होगा और हमारी एकजुट तस्वीर भी सामने आएगी.
