बिहार विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी बसपा, UP मॉडल पर कमेटियों का होगा गठन
बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले उतरने का फैसला किया है. पार्टी ने चुनावी रणनीति को लेकर तैयारी कर ली है. बीएसपी बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. राज्य को तीन जोन में बांटा गया है और संगठनात्मक जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं.

बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले अपने दम पर उतरने का फैसला किया है. पिछले दो दिनों में पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक में उम्मीदवारों के चयन, संगठन की तैयारियों और चुनावी रणनीति पर गहन चर्चा की गई. इस बैठक में बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर मजबूत प्रदर्शन के लिए रूपरेखा तैयार की गई.
बीएसपी प्रमुख मायावती के नेतृत्व में यह बड़ी बैठक हुई है. बिहार के विशाल भौगोलिक और राजनीतिक महत्व को देखते हुए, राज्य की विधानसभा सीटों को तीन जोन में बांटकर संगठनात्मक जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद, केंद्रीय कोऑर्डिनेटर और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम और बीएसपी बिहार स्टेट यूनिट को विशेष जिम्मेदारी दी गई है. मायावती ने पदाधिकारियों को कमियों को दूर करने और तन, मन, धन से चुनावी तैयारियों में जुटने का निर्देश दिया.
पार्टी की यात्रा और जनसभाओं का खाका तैयार
बैठक में अगले महीने से शुरू होने वाली पार्टी की यात्रा और जनसभाओं सहित विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया गया. ये सभी कार्यक्रम मायावती के दिशा-निर्देशन में होंगे. पार्टी कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर पर जनाधार बढ़ाने और मतदाताओं तक पहुंचने के लिए विशेष टारगेट दिए गए हैं. बिहार के तेजी से बदलते राजनीतिक हालात और चुनावी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए बीएसपी ने बेहतर परिणाम देने का भरोसा जताया है.
UP मॉडल पर संगठनात्मक ढांचा हो रहा तैयार
बिहार के अलावा, मायावती ने ओडिशा और तेलंगाना में भी पार्टी संगठन की तैयारियों की समीक्षा की. यूपी के पैटर्न पर इन राज्यों में जिला से लेकर पोलिंग बूथ स्तर तक कमेटियों का गठन किया जा रहा है. मिशनरी कार्यों के जरिए जनाधार बढ़ाने पर जोर दिया गया है. बिहार में भी इसी रणनीति के तहत संगठन को मजबूत करने की योजना है.
मायावती का जोर एकला चलो, मजबूती से
बीएसपी की रणनीति में गठबंधन की बजाय स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने पर जोर है. पार्टी नेतृत्व का मानना है कि बिहार में दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वोट बैंक के साथ-साथ अन्य वर्गों का समर्थन हासिल कर बीएसपी मजबूत प्रदर्शन कर सकती है. मायावती ने कार्यकर्ताओं को संगठन की एकजुटता और जमीनी स्तर पर सक्रियता बढ़ाने का स्पष्ट संदेश दिया है.
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए बीएसपी की यह रणनीति न केवल पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि राज्य की राजनीति में नए समीकरण बनने की संभावना को भी दर्शाती है. बिहार विधानसभा का कार्यकाल नवंबर में खत्म हो रहा है, चुनाव इससे पहले प्रस्तावित है.