अखिलेश के ‘गुलशन’ पर एक लाख का इनाम, राजा भैया के खिलाफ लड़े थे चुनाव
प्रतापगढ़ में सपा नेता गुलशन यादव कभी राजा भैया के करीबी थे. बाद में सपा में शामिल हुए और राजा भैया के खिलाफ चुनाव लड़कर सुर्खियों में आए. हालांकि पुलिस ने जब उनके आपराधिक इतिहास को खंगालना शुरू किया तो वह फरार हो गए. अब पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी के लिए एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया है. हालांकि सपा इसे राजनीतिक साज़िश बताया है.

प्रतापगढ़ की राजनीति में कुंडा विधायक और बदरी रियासत के युवराज राजा भैया तो सुर्खियों में रहते ही हैं, यहां यादव ब्रदर्स (छविनाथ यादव और गुलशन यादव) भी समय-समय पर सुर्खियों में रहे है. कभी ये राजा भैया के करीबी हुआ करते थे. उत्तर प्रदेश में मायावती शासन के दौरान जब राजा भैया पर मुकदमे दर्ज हुए तो गुलशन यादव का भी नाम उन मुकदमों में डाला गया था. इनमें से कई मुकदमे आज भी लंबित हैं. बाद में अखिलेश यादव की सरकार में गुलशन ने पाला बदल लिया और सपा में शामिल हो गए.
अखिलेश यादव ने राजा भैया के खिलाफ गुलशन यादव को कुंडा से चुनाव भी लड़ाया. खुद वहां प्रचार करने भी पहुंचे थे. कहा था कि गुलशन यादव राजा भैया के कुंडा में कुंडी लगाएंगे. हालांकि चुनाव परिणामों में गुलशन यादव ऐसा कुछ नहीं कर पाए. संयोग से इसी दौरान प्रतापगढ़ में समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष छविनाथ यादव जेल चले गए. ऐसे में अखिलेश यादव ने पार्टी में उनके बड़े भाई गुलशन यादव का ओहदा बढ़ाते हुए उन्हें कार्यवाहक जिलाध्यक्ष बना दिया.
एडीजी ने घोषित किया एक लाख का इनाम
इसके बाद योगी सरकार में पुलिस ने जब गुलशन यादव की फाइलों को खोलना शुरू किया तो फेहरिस्त काफी लंबी हो गई. ऐसे में गिरफ्तारी की तलवार लटकते देखकर गुलशन यादव फरार हो गए. उनकी फरारी को देखते हुए ही प्रतापगढ़ पुलिस ने उनके खिलाफ 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था. बावजूद इसके, उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई तो डीआईजी ने इनाम राशि बढ़ाकर 50 हजार किया और एडीजी प्रयागराज ने गुलशन यादव को एक लाख का इनामी घोषित किया है.
कब तक बच पाएंगे गुलशन?
बड़ा सवाल यह है कि गुलशन यादव अब कब तक बचते फिरेंगे? पुलिस के मुताबिक एडीजी स्तर से इनाम घोषित होने के बाद गुलशन यादव की गिरफ्तारी पहली प्राथमिकता हो गई है. बल्कि अब गुलशन की गिरफ्तारी के लिए सिविल पुलिस के अलावा एसटीएफ भी मैदान में उतर चुकी है. उधर, इस घटनाक्रम को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल शुरू हो गई है. सपा के नेताओं ने इसे राजनीतिक साजिश बताया है, वहीं बीजेपी खेमे का कहना है कि सपा नेताओं का अपराध से गहरा नाता है.