12 मुकदमे, सबमें मिली जमानत; फिर आजम खान के बयानों में क्यों बार-बार झलकता है यतीमखाना केस
समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान को यतीमखाना बस्ती केस के सभी 12 मामलों में जमानत मिल चुकी है. बावजूद इसके, वह बार-बार मीडिया से बात करते हुए इस मामले का जिक्र क्यों करते हैं? उन पर आरोप है कि 2016 में सपा सरकार के दौरान उन्होंने रामपुर में यतीमखाना बस्ती उजड़वाई, बस्ती में रहने वालों की मुर्गियां-बकरियां तक लूटवा लीं. आज़म खान इसी मामले का जिक्र करते हुए अक्सर खुद को 'मुर्गी चोर' बताते हुए दर्द बयां करते हैं.
कहा जाता है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में आजम खान पैरलल सरकार चलाते थे. वह खुद भी कह चुके हैं कि वह जहां उंगली रखते थे, तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह यादव आंख बंदकर के साइन कर देते थे. अब 23 महीने जेल काटकर घर लौटे वही आजम खान अपने को ना केवल बहुत छोटा आदमी बता रहे हैं, बल्कि अपने हर बयान में कहते फिर रहे हैं कि उन्हें मुर्गी और बकरी चोर कहा गया. दरअसल, आजम खान के इस तरह के बयान के पीछे यतीमखाना बस्ती केस का दर्द छिपा है.
आरोप है कि साल 2016 में जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी, आजम खान ने रामपुर शहर कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला सराय गेट के पास स्थित यतीमखाना बस्ती को उजड़वा दिया था. इस बस्ती को उजाड़ने के लिए समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता भारी पुलिस फोर्स के साथ पहुंचे थे. यह भी आरोप है कि बस्ती को उजाड़ने के दौरान सपा के कार्यकर्ताओं ने इस बस्ती में रहने वालों को घर तोड़ दिए और मुर्गियां-बकरियां भी खोल ले गए. बस्ती के लोगों ने उसी समय पुलिस में शिकायत दी थी, लेकिन चूंकि खुद पुलिस भी इस घटनाक्रम में शामिल थी, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं हुई.
साल 2019 में दर्ज हुआ मुकदमा
साल 2017 में सपा का राज खत्म हुआ और उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी. इसके बाद स्थानीय लोगों ने एक बार फिर पुलिस में शिकायत दी. इसके बाद साल 2019 में पुलिस ने रामपुर शहर के तत्कालीन विधायक आजम खान, सेवानिवृत्त सीओ आले हसन खां, सपा के तत्कालीन जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल, इस्लाम ठेकेदार समेत अन्य के खिलाफ 12 नामजद मुकदमे दर्ज किए. इन सभी मामलों में पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दिया. इस समय इस मामले में अंतिम ट्रॉयल चल रहा है.
क्या है यतीम खाना केस?
जानकारी के मुताबिक साल 2016 तक रामपुर शहर कोतवाली क्षेत्र में मुहल्ला सराय गेट के पास यतीमखाना बस्ती हुआ करती थी. इस बस्ती में रहने वाले शाकिर पुत्र भूरा ने पुलिस को बताया था कि आजम खान के इशारे पर सपा कार्यकर्ताओं ने इस बस्ती को खाली करा लिया था. चूंकि सपा कार्यकर्ताओं के साथ भारी संख्या में पुलिस फोर्स भी मौजूद थी, इसलिए स्थानीय लोग चाहकर भी कोई विरोध नहीं कर पाए. जिन लोगों ने विरोध की कोशिश भी की तो उन्हें पुलिस की बर्बरता का शिकार होना पड़ा था. सपा कार्यकर्ताओं ने डंके की चोट पर यह कहते बस्ती को खाली कराया था कि आजम खान इस जमीन पर स्कूल बनाना चाहते हैं. इस दौरान आरोपियों ने उनके घरों में लूटपाट की और नगदी, जेवर, मुर्ग, भैंस-बकरी आदि भी लूट गए थे.
क्या है मुकदमे की स्थिति?
इस मुकदमे में दो दिन पहले रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट (सेशन ट्रायल) में दो गवाहों इंतजार अहमद और करीम अहमद की गवाही होनी थी. काफी इंतजार के बाद भी ये दोनों गवाह कोर्ट नहीं पहुंचे. ऐसे में कोर्ट ने इन दोनों के खिलाफ वारंट जारी करते हुए पुलिस को इन्हें कोर्ट में पेश करने को कहा है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए अब 29 अक्टूबर की तिथि मुकर्रर की है. बिना इस मामले का नाम लिए आजम खान अक्सर कहते हैं कि उनके ऊपर मुर्गी चोरी का आरोप है, लेकिन उन्हें मुर्गी भी नहीं मिली.