नेपाल से सटे 46 गांवों में धर्मांतरण.. छांगुर की थी 100 करोड़ के खपत की साजिश, ATS का खुलासा

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर के उतरौला कस्बा की दूरी नेपाल से बहुत दूर नहीं है. नेपाल से 65 किलोमीटर की दूरी होने की वजह से छांगुर उर्फ जमालुद्दीन ने इसे अपनी साजिश का केंद्र बनाया था. वो 46 गांवों में धर्मांतरण के अड्डे स्थापित करने की योजना बना रहा था.

छांगुर बाबा का धर्मांतरण रैकेट

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिला इन दिनों धर्मांतरण की वजह से चर्चा में है. यहां के उतरौला कस्बा की दूरी नेपाल से बहुत दूर नहीं है. ये नेपाल सीमा से महज 65 किलोमीटर दूर है. ऐसे में छांगुर उर्फ जमालुद्दीन ने इसे अपनी साजिश का केंद्र बनाया था. वो 46 गांवों में धर्मांतरण के अड्डे स्थापित करने की योजना बना रहा था. वो तकरीर और जलसों के बहाने परचे बंटवाया करता था.

साथ ही सीमावर्ती गांव के युवाओं की सोच और जिहाद के प्रति उनके रुझान की जानकारी के बारे में पता लगाता था. उसका मकसद इन युवाओं को किसी भी तरीके से अपने नेटवर्क में शामिल करना होता था. इसके लिए वो विदेश से आई फंडिंग का इस्तेमाल करता था और उन्हें रुपये देता था. ये सब करने के पीछे उसका उद्देश्य इस्लामिक मूवमेंट को मजबूत करना था. एटीएस सूत्रों के मुताबिक, इस साजिश के लिए करीब 10 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी थी.

पहले साइकिल पर बेचा करता था सामान

छांगुर बाबा की कहानी को देखा जाए तो ये वाकई में किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है. साल 2015 तक वह साइकिल पर नकली अंगूठियां और नग बेचकर गुजारा करता था, लेकिन 2020 के बाद उसकी संपत्तियों में अचानक इजाफा होने लगा. 2022 तक वह लग्जरी गाड़ियों में घूमने लगा और उसका रहन-सहन पूरी तरह बदल गया. लेकिन, गलत तरीकों से जुटाए गये रुपये की उम्र लंबी कहां होती है.

एटीएस की जांच में सामने आया कि विदेशी फंडिंग के जरिए उसने न केवल अपनी, बल्कि अपने करीबियों को भी मालामाल करने लगा. अब उसके रिश्तेदारों के रहन-सहन में भी बदलाव देखने को मिल गया था. छांगुर के 18 सहयोगियों को एटीएस ने आरोपी बनाया है, जिनके पास भी अचानक रुपयों और दूसरी संपत्तियों बढ़ने देखने को मिली. जांच में उसके 40 से ज्यादा बैंक खातों में 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के लेन-देन का पता चला है, जिसमें नेपाल, दुबई, सऊदी अरब और तुर्की से फंडिंग शामिल है.

छांगुर का नेटवर्क सिर्फ धर्मांतरण तक सीमित नहीं था. वह सरकारी जमीनों पर भी कब्जा करने की फिराक में था. 2022 से उसने उतरौला और आसपास के गांवों में खलिहान, तालाब और चरागाह की जमीनों पर नजर गड़ा रखी थी. उसका मकसद इन जमीनों पर मजार और मदरसे बनाकर अपने नेटवर्क को और मजबूत करना था. उतरौला में उसने एक तालाब की जमीन को अपने नाम दर्ज कराकर अपनी सहयोगी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन के नाम बेच दिया, जिसमें एक करोड़ रुपये का लेन-देन दिखाया गया. यह सारा खेल तहसील कर्मियों की मिली भगत से हुआ. एटीएस ने एक कोठी को बुलडोजर से ढहा दिया, जबकि बाकी की जमीनों की खोज की जा रही है.

मिला रहा स्थानीय प्रशासन

जांच में यह भी सामने आया कि छांगुर ने स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से सरकारी जमीनों पर कब्जा करने की कोशिश की. 24 जून 2022 को उतरौला नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी ने तालाब की जमीन को पाटने की शिकायत प्रशासन को भेजी थी, लेकिन इसके बावजूद छांगुर ने बैनामा कर जमीन नीतू के नाम कर दी. एटीएस का मानना है कि यह साजिश बिना स्थानीय अधिकारियों की सांठगांठ के संभव नहीं थी.

छांगुर के खिलाफ अगस्त 2024 में एफआईआर दर्ज हुई थी, लेकिन कार्रवाई में तेजी मार्च 2025 के बाद आई. अप्रैल में उसके बेटे महबूब और सहयोगी नवीन रोहरा की गिरफ्तारी के बाद छांगुर का नेटवर्क कमजोर पड़ने लगा. मौजूदा समय में छांगुर एटीएस की रिमांड कस्टडी में है और उससे पूछताछ में कई अहम खुलासे हो रहे हैं. एटीएस को उसके 14 दूसरे सहयोगियों की तलाश है, जिनसे इस साजिश की और परतें खुलने की उम्मीद है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी विदेशी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के पहलुओं की जांच कर रहा है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि विदेशी फंडिंग के जरिए भारत को तोड़ने की साजिश को किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने छांगुर को जल्लाद करार देते हुए कहा कि ऐसे तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. बलरामपुर में छांगुर के घर को बुलडोजर से ढहा दिया गया, जो उसकी सहयोगी के नाम पर था.

कई राज्यों में फैला नेटवर्क

छांगुर का नेटवर्क न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल और नेपाल तक फैला था. उसकी योजना नेपाल सीमा पर इस्लामिक दावा केंद्र स्थापित करने की थी, जिसका असल मकसद धर्मांतरण का अड्डा बनाना था. यह साजिश राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकती थी, लेकिन एटीएस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों की तुरंत कार्रवाई ने इसे नाकाम कर दिया.

एटीएस और ईडी की जांच अब भी जारी है. छांगुर के अंतरराष्ट्रीय संपर्कों, खासकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और दूसरे इस्लामिक संगठनों से उसके रिश्तों की गहन पड़ताल हो रही है. यह मामला न केवल धर्मांतरण, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग, हनी ट्रैप और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से जुड़ा है, जिसके तार नेपाल, दुबई, सऊदी अरब और तुर्की तक फैले हैं.