कौन हैं भाजपा नेता छोटे सिंह चौहान? जिन्हें दोहरे हत्याकांड में मिली उम्रकैद की सजा
जालौन की अपर जिला अदालत ने 31 साल पुराने दोहरे हत्याकांड में भाजपा नेता छोटे सिंह चौहान को उम्रकैद की सजा सुनाई है. 1994 के इस मामले में दो भाइयों की गोली मारकर हत्या हुई थी. चौहान पहले बसपा विधायक थे और अब बीजेपी में हैं. उन्होंने फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.
जालौन में 31 साल पुराने एक दोहरे हत्याकांड में भाजपा नेता छोटे सिंह चौहान को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. यह मामला 1994 का है जिसमें दो भाइयों की हत्या हुई थी. चौहान पहले बसपा विधायक रह चुके हैं और बाद में भाजपा में शामिल हुए. जालौन जिला कोर्ट ने उनपर 71,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. छोटे सिंह ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.
जालौन अपर जिला एवं सत्र न्यायालय/ईसी एक्ट कोर्ट ने गुरुवार को पूर्व विधायक छोटे सिंह चौहान को उम्रकैद की सजा सुनाई. इससे पहले 8 सितंबर को कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया था. पुलिस गिरफ्तारी के फिराक में थी, लेकिन सुनवाई से पहले छोटे सिंह ने वकील की ड्रेस पहनकर कोर्ट में सरेंडर कर दिया. कोर्ट के फैसले के बाद छोटे सिंह को कस्टडी में ले लिया गया.
दिनदहाड़े दो सगे भाईयों की गोली मारकर हत्या
यह मामला 30 मई 1994 को जालौन के चुर्खी थाने के बिनौरा बैध गांव का है. ग्राम प्रधान राजकुमार उर्फ राजा भैया और उनके भाई जगदीश शरण की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में एफआईआर मृतक के भाई ने दर्ज कराई थी. शिकायत के अनुसार, दोपहर करीब 11:30 बजे रुद्रपाल सिंह उर्फ लल्ले गुर्जर, राजा सिंह, संतावन सिंह गुर्जर, करन सिंह उर्फ कल्ले और दो अज्ञात लोग हथियारों से लैस होकर घर में घुसे और अंधाधुंध फायरिंग कर दी.
इसमें ग्राम प्रधान राजकुमार और उनके भाई जगदीश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि वीरेंद्र सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए. जांच में पुलिस ने गवाहों के बयान और घायल व्यक्ति के बयान के आधार पर पूर्व विधायक छोटे सिंह चौहान सहित अन्य लोगों के नाम भी शामिल कर लिए थे. इस मामले में कुल 10 आरोपियों पर मुकदमा चला था. जिनमें से 2 की मौत हो चुकी है. छोटे सिंह के खिलाफ फैसला सुना दिया गया है, जबकि बाकी 7 आरोपियों के खिलाफ अब 29 सितंबर को सुनवाई होगी.
SC के आदेश पर दोबारा शुरू हुई थी सुनवाई
पूरे 31 साल बाद इस दोहरे हत्याकांड में छोटे सिंह चौहान को सजा सुनाई गई है. मुकदमे की कानूनी लड़ाई लंबी चली. 18 फरवरी 1995 को जिला एवं सत्र न्यायालय में मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई थी. छोटे सिंह को बाद में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई. साल 2007 में वे बहुजन समाज पार्टी से विधायक बने. इसके बाद 2009 में तत्कालीन बसपा सरकार ने उनके खिलाफ केस वापस ले लिया.
सरकार के इस फैसले के खिलाफ पीड़ित पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. 24 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और प्रदेश सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया. साथ ही निचली अदालत को केस की फिर से सुनवाई के आदेश दिए थे. 27 अगस्त 2025 से जालौन में अपर जिला एवं सत्र न्यायालय ने मामले की सुनवाई दोबारा शुरू की. वहीं, अब चौहान को दोषी पाते हुए सजा मिली है.
20 साल से राजनीतिक में सक्रिय हैं छोटे सिंह
छोटे सिंह चौहान साल 2005 में बसपा से पहली बार जुड़े थे. 2007 में पहली बार बसपा के टिकट पर कालपी विधानसभा की सीट से विधायक चुनाव लड़ा, और जीते भी. इसके बाद साल 2012 में उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा. 2017 में भी चुनाव लड़ा, पर हार गए. इसके बाद वह साल 2021 में बीजेपी में शामिल हो गए, और उन्हें एनडीए प्रत्यासी के रूप में कालपी से ही उतारा गया.
चूकि 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा के खाते में कालपी सीट नही थी. इसलिए छोटे सिंह को निषाद पार्टी का सिंबल मिला था, हालांकि, वह चुनाव जतने में कामयाब नहीं हुए. सपा के विनोद चतुर्वेदी को यहां से जीत मिली, उन्हें करीब 69 हजार वोट मिले. जबकि छोटे सिंह को करीब 66 हजार वोट मिले थे. वह कुल 2816 वोटों से चुनाव हार गए थे.