एक ने लावारिस शवों को दिया कंधा तो दूसरे ने कला को संजोया… कानपुर के इन दो शख्सियतों को मिल सकता है पद्मश्री!
उत्तर प्रदेश के कानपुर से दो लोगों का नाम पद्मश्री पुरस्कार के लिए संस्तुति के रूप में भेजा गया है. इनमें से धनीराम पैंथर का नाम लावारिस शवों का सम्मानजनक अंतिम संस्कार के लिए भेजा गया है. यहां पर रंजीत सिंह को तामपत्र पर जीवंत चित्रकारी के जरिये भारतीय कला की एक प्राचीन विधा को फिर से जीवित किया है. जिले के डीएम की तरफ से इन दोनों के नाम को सरकार को भेजा गया है.

उत्तर प्रदेश के कानपुर से दो लोगों के नाम की संस्तुति पद्मश्री के लिए की गई है. ये पुरष्कार किसी उत्कृष्ट कार्य के लिए देश के आम आदमियों में से कभी-कभी ही किसी को सरकार की तरफ से दिया जाता है. इस बार कानपुर के दो लोगों को इससे सम्मानित किया जाएगा. हालांकि, पद्मश्री मिलने की प्रक्रिया काफी मुश्किल होती है लेकिन, शहर से दो लोगों के नाम की संस्तुति होना बड़ी बात मानी जा रही है. डीएम कानपुर ने शहर से धनीराम पैंथर और रंजीत सिंह का नाम सरकार को भेजा है. धनीराम का नाम विशिष्ट सेवा के लिए और रंजीत सिंह का नाम विशिष्ट कला के लिए भेजा गया है.
लावारिस शवों का दाह संस्कार
कानपुर डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि शहर के दो लोगों का नाम पद्मश्री के लिए सरकार को भेजा है. इनमें से एक लोग समाजसेवियों और दूसरे पेंटिंग के क्षेत्र से आते हैं. इनके नाम धनीराम पैंथर और रंजीत कुमार है. अगर बात धनीराम पैंथर की करें तो धनीराम ने समाज में लावारिस शवों को सम्मान देने का काम किया है.
शहर में ऐसे बहुत से शव होते हैं जो लावारिस होते हैं. ऐसे शव पोस्टमार्टम में कई बार पड़े-पड़े सड़ जाते थे. धनीराम ने इस समस्या को समझा और एक अभियान शुरू किया. इसके तहत धनीराम लावारिस शवों का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करते हैं.
तामपत्रों की कला को संजोते हैं
शहर के रंजीत सिंह की उम्र 80 से ज्यादा हो चुकी है. इसके बाद उन्होंने दशकों पुरानी तामपत्र की कला को जीवित रखा है. रंजीत सिंह ताम पत्रों पर जीवंत चित्र उकेरते हैं. उन्होंने अभी तक अयोध्या के राम मंदिर, पीएम मोदी समेत कई महानुभावों और ऐतिहासिक पलों के चित्र ताम पत्र पर उकेरे है.
धनीराम पैंथर की विशिष्ट सेवा और रंजीत सिंह की बेजोड़ कला के लिए दोनों का नाम पद्मश्री के लिए सरकार के पास भेजा गया है. डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि यह दोनों नाम सरकार को भेजे गए हैं. हालांकि, पद्मश्री मिलने की प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल होती है. पूरे देश से हजारों नाम भेजे जाते हैं जिसमें से चुनिंदा लोगों को पद्मश्री दिया जाता है.



