‘तुमने किया सुसाइड कॉल…’ मनी लॉन्ड्रिंग बताकर 69 दिन डिजिटल अरेस्ट, इंजीनियर से 53 लाख ठगी की कहानी
कानपुर में एक रिटायर्ड इंजीनियर से 69 दिनों तक 'डिजिटल अरेस्ट' कर 53 लाख रुपये की ठगी की गई. जालसाजों ने उन्हें 'सुसाइड कॉल' और मनी लॉन्ड्रिंग के नाम पर डराया. जालसाजों ने सीबीआई अधिकारी बनकर, फर्जी अदालती माहौल दिखाकर, लगातार वीडियो कॉल पर नजर रखा. यह साइबर अपराध की एक बड़ी मिसाल है, जिसमें बुजुर्गों को निशाना बनाया जा रहा है.
डिजिटलाइजेशन के दौर में साइबर अपराध के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे. उत्तर प्रदेश के कानपुर में साइबर अपराधियों ने एक रिटायर्ड इंजीनियर को 69 दिनों तक डिजीटल अरेस्ट किया और 53 लाख रुपये की ठगी को अंजाम दिया था. यहां तक पीड़ित के डायलिसिस के वक्त भी जालसाजों ने उन्हें नहीं बख्सा था. जालसाजों ने पीड़ित को धमकाते हुए कहा था कि उसके फोन से सुसाइड करने वाली युवती को कॉल किया गया था. यह सुनते ही पीड़ित इतना डर गया कि जालसाजों की हर मांग पूरी करता गया.
मामला कानपुर के कोहना थाना क्षेत्र में उपवन सोसाइटी का है. जालसाजों के चंगुल से छूटने के बाद पुलिस के पास पहुंचे पीड़ित रमेश चंद्र ने लिखित तहरीर दी है. बताया कि वह रिटायर्ड इंजीनियर हैं और यहां अपनी पत्नी के साथ रहते हैं. उनके बच्चे अमेरिका व नोएडा में सेटल हैं. कहा कि 3 अक्टूबर 2025 को उनकी डायलिसिस हो रही थी. इसी दौरान एक फोन आया. इसमें कॉलर ने बताया कि वह सीबीआई मुंबई से है. अस्पताल में होने की बात कहकर उन्होंने उस समय तो फोन काट दिया, लेकिन 4 अक्टूबर को उनके पास दोबारा कॉल आई.
मनी लॉन्ड्रिंग का डर भी दिखाया
इस बार जालसाजों ने उन्हें सीधे डराते हुए कहा कि उनके आधार कार्ड से जो सिम लिया गया है, उससे एक युवती को परेशान किया गया. इससे उस लड़की ने सुसाइड कर लिया. पीड़ित ने खुद को बुजुर्ग होने का हवाला देते हुए मामले से इनकार किया तो जालसाजों ने बताया कि उनके ऊपर मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. एक मुकदमा जेट एयरवेज के मालिक द्वारा ट्रांसफर किए गए 538 करोड़ का भी है. इसका 10% कमीशन उनके खाते में आया है. पीड़ित के मुताबिक इस दौरान पीछे से दूसरे जालसाज ने कहा कि ज्यादा बात मत करो, अरेस्ट कर जेल भेजो. यह सुनकर वह बुरी तरह से डर गए थे.
किश्तों में ट्रांसफर कराए 53 लाख रुपये
इसके बाद ठगों ने 3 अक्टूबर 2025 से 11 दिसंबर 2025 तक उन्हें लगातार डिजिटल अरेस्ट रखा. इस दौरान ठगों ने मामले को रफा दफा कराने के नाम पर उनसे 53 लख रुपए ठग लिए. पीड़ित के मुताबिक इस दौरान वह कई बार डायलिसिस के लिए भी गए, लेकिन इस दौरान भी जालसाजों ने उन्हें वीडियो कॉल पर कैमरे के सामने रखा. पीड़ित के मुताबिक डर के मारे उन्होंने 4 अक्टूबर को पीपीएफ में जमा पूंजी निकालकर उन्हें दे दिया. इसके बाद 9 अक्टूबर को 20 लाख, 21 नवंबर को 23 लाख उनके बताए बैंक खाते में आरटीजीएस किया. इसके अलावा सिक्योरिटी बांड के नाम पर 11 दिसंबर को 10 लख रुपए दिए. इसके बाद कॉल कट गया और दोबारा जालसाजों का फोन नहीं आया तो उन्होंने पुलिस में शिकायत दी.
बैकग्राउंड में दिखाया कोर्ट
पीड़ित के मुताबिक परिस्थिति ऐसी थी कि उन्हें जालसाजों की बात पर भरोसा करना ही पड़ा. उन्हें कैमरे पर दिख रहा था कि कॉलर वर्दी में था. बैकग्राउंड में सीबीआई कोर्ट के अंदर का दृष्य नजर आ रहा था. जालसाज इस तरह से उन्हें डरा रहे थे और बता रहे थे कि उन्हें उनकी बात पर विश्वास कर उन्हें पैसे देने ही पड़े. हालांकि अब शिकायत मिलने पर पुलिस ने जालसाजों के एकाउंट फ्रीज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है.
