राजनीतिक आरोपों की आंच में बीजेपी नेता आमने-सामने, कानूनी लड़ाई की चेतावनी

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में बीजेपी के दो प्रभावशाली नेताओं, जितेंद्र सिंह गुड्डन और अनिल शुक्ला वारसी के बीच तीखा विवाद है. वारसी की ओर से गुड्डन पर लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद गुड्डन ने लीगल नोटिस जारी किया है. इसमें सार्वजनिक माफी और क्षतिपूर्ति की मांग की गई है. यह विवाद 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की आंतरिक कलह की ओर इशारा कर रहा है.

जितेंद्र सिंह गुड्डन

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ज़िले में सत्ताधारी बीजेपी के दो प्रभावशाली नेताओं के बीच टकराव सामने आया है. अकबरपुर नगर पंचायत की चेयरपर्सन दीपाली सिंह के पति, बीजेपी नेता और अधिवक्ता जितेंद्र सिंह गुड्डन ने प्रदेश सरकार में महिला कल्याण राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला के पति और पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी को लीगल नोटिस भेजा है.

यह विवाद 24 जुलाई को उस समय शुरू हुआ जब पूर्व सांसद अनिल शुक्ला वारसी ने अपनी मंत्री पत्नी के साथ अकबरपुर कोतवाली में धरना दिया. इसी दौरान दोनों नेताओं के बीच बहस हुई और आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए. वारसी ने गुड्डन पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें गुंडों को संरक्षण देने वाला, सरकारी जमीनों पर अवैध कब्ज़ा कराने वाला, और नाजायज़ मिट्टी खनन में लिप्त बताया. उन्होंने यह भी कहा कि वो थाना तक चलाते हैं.

जितेंद्र सिंह गुड्डन ने जताया है कड़ा ऐतराज

इन बयानों को लेकर जितेंद्र सिंह गुड्डन ने कड़ा ऐतराज़ जताते हुए लीगल नोटिस जारी किया है. नोटिस में कहा गया है कि इन अपमानजनक, असत्य और भ्रामक बयानों से उनकी छवि को गहरी ठेस पहुंची है. वे एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता और सामाजिक-राजनीतिक व्यक्ति हैं, और इस प्रकार की बयानबाजी से उन्हें मानसिक पीड़ा हुई है.

15 दिन के भीतर सार्वजनिक माफी का समय

नोटिस में पूर्व सांसद से 15 दिन के भीतर सार्वजनिक रूप से माफी मांगने और प्रतीकात्मक रूप से 1 रुपये की मानहानि राशि अदा करने की मांग की गई है. गुड्डन ने स्पष्ट किया है कि अगर माफी नहीं मांगी गई, तो उनके खिलाफ फौजदारी और दीवानी अदालत में मुकदमा दायर किया जाएगा.

इस घटनाक्रम से बीजेपी की अंदरूनी गुटबाज़ी एक बार फिर सामने आई है. 2027 विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के अंदर शक्ति संतुलन को लेकर उठे टकराव के तौर पर देखा जा रहा है.

रिपोर्ट- विजेंद्र/ कानपुर