₹255 फीस नहीं जमा हुई और छूट गया एग्जाम, कोर्ट ने बैंक पर लगाया ₹7 लाख का जुर्माना
यूपी के कानपुर में कोर्ट ने ₹255 फीस जमा करने की लापवाही के आरोपों में एक बैंक पर ₹7 लाख जुर्माना लगाया है. फीस न जमा होने के चलते कैंडिडेट का 2015 में मेंस एग्जाम छूट गया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बैंक को दोषी माना और भारी जुर्माने की रकम पीड़ित छात्र को देने के आदेश दिए.

कानपुर मैं एक बैंक की लापरवाही पर परीक्षार्थी की फीस समय पर न जमा करने और उसके भविष्य से खिलवाड़ करने के मामले में कानपुर न्यायालय की उपभोक्ता फोरम ने बैंक पर ₹7 लाख का जुर्माना लगाया है. अदालत ने आदेश दिया है कि बैंक ये रकम पीड़ित छात्र के खाते में ट्रांसफर करे. अदालत का ये आदेश बैंकों के लिए एक नजीर के तौर पर है, जो उपभोक्ताओं के कामों को करने में लापरवाही करते हैं.
बैंक की लापरवाही आई सामने
जानकारी के मुताबिक एक बैंक की लापरवाही के चलते परीक्षार्थी की मेंस की परीक्षा छूट गई. छात्र UPSC का प्री एग्जाम क्वालिफाई कर चुका था. इसके बाद उसने मेंस एग्जाम की फीस जमा करने के लिए वो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया गया और वहां 255 रुपए और खातें की डिटेल दी. इसके बाद बैंक की तरफ से उसे आश्वाशन दिया गया कि उसकी फीस समय पर जमा हो जाएगी. लेकिन कर्मचारियों की लापरवाही के चलते परीक्षार्थी की ऑनलाइन फीस समय से जमा नहीं हो पाई और वो परीक्षा देने से वंचित रह गया.
कोर्ट ने दिए आदेश
इसके बाद परीक्षार्थी ने रिजर्व बैंक और इंडिया के बैंकिंग लोकपाल से भी शिकायत की लेकिन बैंक स्टाफ पर कोई कार्यवाही नहीं हुई. इसके बाद परीक्षार्थी ने उपभोक्ता फोरम का सहारा लेते हुए कानपुर न्यायालय उपभोक्ता फोरम में बाद दाखिल किया. उपभोक्ता फोरम ने राष्ट्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की गलती से परीक्षा छूटने पर परीक्षार्थी को 7 लाख का क्षतिपूर्ति ब्याज के देने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही वाद दाखिल व्यय का 10 हजार रु अलग से देने के निर्देश दिए है.
कानपुर के देहली सुजानपुर निवासी अधिवक्ता अवनीश वर्मा ने लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली थी. इसके बाद 2015 एपीओ की मुख्य परीक्षा देने के लिए 7 सितंबर 2015 को 255 रु भारतीय स्टेट बैंक की कृष्णा नगर शाखा में जमा किया था. बैंक ने पैसा जमा की रसीद भी जारी की लेकिन लोक सेवा आयोग के खाते में पैसा नहीं जमा किया. आयोग की वेबसाइट पर बैंक डिटेल को ऑनलाइन अपडेट का प्रयास किया गया लेकिन सफलता नहीं मिली. समय से पैसा नहीं जमा होने पर परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा देने से वंचित रह गया.