भूलने-भटकने या बिछड़ने की नहीं होगी झंझट, दांत में लगेगी ऐसी चिप जो बता देगा मरीज का ब्योरा
केजीएमयू के दंत प्रोस्थोडॉक्टिस विभाग की तरफ से एक खास चिप बनाई गई है. इसे डिमेंशियां या फिर गंभीर रोग से परेशान मरीजों के दांतों में लगाया जा सकेगा. इनके बिछड़ने, भूलने या भटकने पर कोई भी इस चिप को स्कैन कर मरीज को उसके सही पते तक पहुंचा सकेगा. जल्द ही इस चिप में जीपीएस भी जोड़ा जाएगा.
केजीएमयू यानी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के दंत प्रोस्थोडॉक्टिस विभाग ने एक खास तरीके का चिप तैयार की है. यह चिप उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती है जिन्हें भूलने की बीमारी है या फिर किसी गंभीर रोग से परेशान हैं. अब इस चिप की मदद से उन मरीज का पूरा ब्योरा हासिल किया जा सकेगा. जानकारी के मुताबिक, इस खास चिप को मरीजों के नकली दांत में लगाई जाएगी.
यह चिप उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकता है जो दिमागी रूप से कमजोर हैं या उम्र होने के चलते डिमेंशिया की बीमारी के कारण इधर-उधर भटक जाते हैं. साथ ही यह चिप उन मरीजों के लिए भी फायदेमंद साबित होगी, जो डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से परेशान हैं और अक्सर बेहोश हो जाते हैं.
कौन है मरीज, चिप स्कैन करते ही चल जाएगा पता
केजीएमयू के दंत प्रोस्थोडॉक्टिस विभाग की तरफ से तैयार की गई ये चिप मरीज के नकली दांतों में लगाई जाएगी. इसमें मरीज का नाम पता, मोबाइल नम्बर जैसी कई जरूरी जानकारियां दर्ज होंगी. इस चिप को कोई स्कैन करेगा तो उसे मरीज के बारे में सारी जरूरी जानकारियां मिल जाएंगी. दंत प्रोस्थोडॉक्टिस के विभागाध्यक्ष के मुताबिक दो बुजुर्गों पर इसका सफल एक्सपेरिमेंट भी किया जा चुका है. बता दें कि इस चिप को विकसित करने में तीन महीने का वक्त लगा है.
मरीज की दांत में कैसे लगाया जाएगा ये चिप
केजीएमयू ने जो चिप तैयार की है, उसे लगाने के लिए पहले मरीज के मसूड़ों पर नकली दांत ट्रांसप्लांट किया जाता है. उसमें चिप स्कैनर के तौर पर इंजेक्ट किया जाता है. फिलहाल, इस चिप को जीपीएस से नहीं कनेक्ट किया गया है. लेकिन प्रोस्थोडॉक्टिस के विभागाध्यक्ष डॉ. पूरन चन्द्र ने जल्द ही इस चिप को GPS के साथ लाने का भी दावा किया है. इसकी तकनीकी भी तैयार है, लेकिन इसके प्रैक्टिकल एक्सपेरिमेंट में एक महीने का समय लग सकता है.
अब जल्द आएगी GPS वाली चिप
डॉ. पूरन चन्द्र के मुताबिक, ‘यह चिप अब तक जिन मरीजों के दांतों में इंजेक्ट किया गया है, उन्होंने अच्छा फीडबैक दिया है. अब इसे GPS से कनेक्ट करने की कोशिश की जा रही है. इसका फायदा ये होगा कि मरीज कहीं भी रहे उसका लोकेशन परिजन आसानी से ट्रेस कर सकेंगे.’