सपा नेता पूजा शुक्ला के खिलाफ FIR, PDA पाठशाला चलाने का है आरोप

PDA पाठशाला चलाने के आरोपों के चलते सपा नेता पूजा शुक्ला क खिलाफ FIR दर्ज की गई है. उनने कई समर्थकों के खिलाफ भी मामले दर्ज हुए हैं. सरकारी स्कूलों के मर्जर को लेकर प्रदेशभर में कई PDA पाठशालाएं चलाई जा रही हैं, जिसे लेकर सरकार का सख्त रुख देखने को मिल रहा है.

PDA पाठशाला चलाने का है आरोप

सपा नेता पूजा शुक्ला के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. ये कार्रवाई PDA पाठशाला चलाने के आरोपों के चलते हुई है. प्रधानाध्यापक आशुतोष मिश्रा द्वारा सैदपुर थाने में दी गई तहरीर के बाद पुलिस ने आरोपी पूजा शुक्ला व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. जानकारी के मुताबिक सरकार के स्कूल मर्जर के फैसले के खिलाफ वे ये काम कर रही थीं. इसी प्रकरण को लेकर अवैध संचालन के मामले में कार्रवाई की गई.

सामने आया वीडियो

अब उनका एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें पूजा शुक्ला लखनऊ के एक प्राथमिक विद्यालय के सामने खड़ी नजर आ रही हैं. उनके साथ कॉपी- किताबें लेकर कुछ बच्चे भी खड़े दिखाई दे रहे हैं. वे जिस सरकारी स्कूल के सामने खड़ी हैं उसके गेट में अंदर की तरफ से ताला लगा हुआ दिखाई दे रहा है. इस दरमियान वे बच्चों से बातचीत करते हुए कहती हैं कि हम लोग बच्चों को करीब 6 दिनों से पढ़ा- लिखा रहे थे. लकिन गेट में ताला लगा दिया गया है क्योंकि बीजेपी नहीं चाहती है कि बच्चे पढ़ाई- लिखाई कर पाएं. इसी मामले को लेकर उनके खिलाफ एक्शन हुआ है.

पूजा शुक्ला ने ये कहा

PDA पाठशाला के तहत बच्चों को पढ़ाने की जो पहल पूजा शुक्ला ने की थी, उसे प्रशासन ने अवैध करार दिया. आरोप है कि बिना अनुमति के इस पाठशाला का आयोजन किया गया और इसके जरिए बच्चों का राजनीतिक नैरेटिव सेट करने के लिए इस्तेमाल किया गया. वहीं पूजा शुक्ला का कहना है कि उनकी मंशा केवल गरीब और वंचित बच्चों को शिक्षा देने की थी न कि राजनीति करने की. लेकिन प्रशासन ने इसे गलत तरीके से पेश किया. एक वीडियो में वे बच्चों को पढ़ाते हुए नजर आईं, जिसके बाद ये मामला सामने आया.

ऐसे शुरु हुआ विवाद

पिछले कुछ वक्त से PDA पाठशाला चलाने वालों से प्रशासन सख्ती से निपटता नजर आ रहा है. इसे लेकर कई नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. सपा द्वारा संचालित पाठशालाएं तब विवाद का विषय बन गईं, जब A फॉर अखिलेश का नाम B फॉर बाबा साहेब अंबेड़कर के नाम से पहले पढ़ाया जाने लगा. इसे लेकर कई लोगों ने अपनी आपत्ति जताई. उन लोगों का कहना है कि बाबा साहेब और अखिलेश यादव की कोई बराबरी नहीं है और बाबा साहेब को अखिलेश यादव के बाद पढ़ाना उनका सरासर अपमान है.