पूर्व DGP प्रशांत कुमार को मिली शिक्षा सेवा चयन आयोग की कमान, 3 साल होगा कार्यकाल; ये होगी जिम्मेदारी

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार को यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. उनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा. इस पद के लिए पहले आईपीएस अधिकारी पात्र नहीं थे, लेकिन नियमों में बदलाव किया गया. अपनी माफिया विरोधी छवि के लिए मशहूर प्रशांत कुमार अब शिक्षा माफिया पर नकेल कसेंगे और प्रदेश के स्कूलों में खाली पदों को निष्पक्षता से भरेंगे.

पूर्व आईपीएस प्रशांत कुमार

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के अध्यक्ष बनाए गए हैं. इस पद पर प्रशांत कुमार का का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा. इस पद के लिए पात्रता में बदलाव के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि यह जिम्मेदारी 1990 बैच के सेवानिवृत्त आईपीएस प्रशांत कुमार को मिलेगी. आज इस कयास पर सरकार की मुहर लग गई है.

अब तक इस पद पर प्रमुख सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी या किसी यूनिवर्सिटी के कुलपति के अलावा 10 साल या इससे अधिक समय तक प्रोफेसर रहे लोग ही पात्र होते थे. नए संशोधन में समकक्ष आईपीएस अधिकारियों को भी पात्र माना गया है. माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने यह बदलाव सीएम योगी के बेहद करीबी इस सेवानिवृत आईपीएस के लिए ही किया था.

माफिया की कमर तोड़ने के लिए हैं मशहूर

1990 बैच के सेवानिवृत आईपीएस प्रशांत कुमार माफिया की कमर तोड़ने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के मुताबिक माफिया को मिट्टी में मिलाने के लिए प्रसिद्ध हैं. अब शिक्षा सेवा चयन आयोग की जिम्मेदारी मिलने के बाद माना जा रहा है कि शिक्षा माफिया के खिलाफ काम करेंगे. इसके साथ ही प्रदेश भर के स्कूलों में खाली पदों को भरने के लिए निष्पक्ष कार्रवाई कर सकेंगे.

तीन साल का होगा कार्यकाल

इस पद पर तैनाती के साथ ही पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार का कार्यकाल तीन साल का होगा. इस दौरान उन्हें हर महीने 1,75,000 रुपये वेतन मिलेगा. इसके अलावा उन्हें गाड़ी, बंगला समेत अन्य सभी सरकारी भत्ते भी मिलेंगे. इस पद पर रहते हुए उनकी मुख्य जिम्मेदारी खाली पदों को भरने के साथ ही शिक्षा माफिया का काकस तोड़ना होगा.